नई दिल्ली : चीन से शुरू होकर दुनिया भर में फैलने वाला कोरोना वायरस महामारी के चपेट हमारा देश भारत भी बुरी तरह फंस गया। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। इसको पटरी पर लाने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था लेकिन अभी तक बेहतर प्रदर्शन नजर नहीं आ रहा है। हालांकि वित्त मंत्रालय की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि एग्रीकल्चर सेक्टर अर्थव्यवस्था को उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उम्मीद है किसानों की मेहनत रंग लाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर मानसून की संभावना है। आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी जुलाई की आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के संकट के बाद भारत अब पुनरोद्धार की राह पर है। इसमें सरकार और केंद्रीय बैंक की पॉलिसियों से समर्थन मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अनलॉक के चरण में हैं। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था का बुरा समय बीत गया है। हालांकि, कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और विभिन्न राज्यों में बारी-बारी से लग रहे लॉकडाउन से खतरा कायम है। रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी और इसकी वजह से राज्यों द्वारा कुछ-कुछ दिनों लिए लगाए जा रहे लॉकडाउन से सुधार की संभावनाएं कमजोर पड़ रही हैं। ऐसे में इसकी निरंतर निगरानी करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में एग्रीकल्चर सेक्टर को लेकर भरोसा जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस के झटकों से उबरने में एग्रीकल्चर सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एग्रीकल्चर सेक्टर को कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से जल्दी और सही समय पर छूट दी गई, जिससे रबी फसलों की कटाई समय पर हो सकी। साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई भी की जा सकी।
रिपोर्ट में हालिया एग्रीकल्चर सेक्टर के सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इससे एग्रीकल्चर सेक्टर नियंत्रण मुक्त हुआ है। साथ ही इनसे किसान सशक्त हुए हैं और वे भारत के विकास की कहानी का एक बड़ा और अधिक स्थिर भागीदार बन सके हैं।
रिपोर्ट कहती है कि गेहूं की रिकॉर्ड खरीद से किसानों के हाथों में 75,000 करोड़ रुपए गए हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में निजी उपभोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2019 से बिजनेस का रुख एग्रीकल्चर सेक्टर की ओर हुआ है जिससे ग्रामीण मांग बढ़ाने में मदद मिली है। इससे मार्च से जून, 2020 से ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य महंगाई दर बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन (IIP) की गतिविधियों और 08 बुनियादी उद्योगों के प्रोडक्शन में गिरावट अप्रैल की तुलना में मई में कम हुई है। इसी तरह जून में भारत का मैन्युफैक्चरिंग PIM 47.2 पर पहुंच गया। मई में यह 30.8 पर था। सेवा PIM मई के 12.6 से जून में 33.7 पर पहुंच गया।
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