नई दिल्ली: संसद ने मंगलवार (22 सितंबर) को अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने के लिए एक बिल पास किया। आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल (Essential Commodities (Amendment) Bill), जिसे 15 सितंबर को लोकसभा द्वारा अनुमोदित किया गया था। उसे राज्य सभा में ध्वनि मत से पास किया गया। बिल जून में लागू किए गए अध्यादेश की जगह लेगा है। इस बिल का उद्देश्य यह भी है कि प्राइवेट निवेशकों के अपने व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक रेगुलेटरी हस्तक्षेप की आशंकाओं को दूर करना है। सरकार ने पहले कहा था कि उत्पादन, धारण, चाल, वितरण और आपूर्ति की स्वतंत्रता से पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का दोहन होगा और कृषि सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर / विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादराव ने कहा कि कानून के माध्यम से लगाए गए स्टॉक लिमिट की शर्तें कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में बाधा थीं। मंत्री ने कहा कि साढ़े छह दशक के कानून में संशोधन यह प्रदान करता है कि वस्तुओं पर स्टॉक रखने की सीमा केवल राष्ट्रीय आपदाओं जैसे असाधारण परिस्थितियों में ही लागू होगी। इसके अलावा, प्रोसेसर और मूल्य चेन प्रतिभागियों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई है। मंत्री ने कहा कि इस कदम से कृषि सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और फसलों की कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए अधिक भंडारण क्षमता भी पैदा होगी। दादराव ने कहा कि यह संशोधन किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के पक्ष में है।
सरकार पहले ही कह चुकी है कि उत्पादन, उत्पादों को जमा करने, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति की स्वतंत्रता से बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होगा। इस बिल का मकसद निजी निवेशकों की कुछ आशंकाओं को दूर करना है। व्यापारियों को अपने कारोबारी गतिविधियों में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं।
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