नयी दिल्ली : पेट्रोल, डीजल पर ऊंची टैक्स दरों को लेकर सदस्यों की चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की अगली बैठक में पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सुझाव पर चर्चा करने को लेकर उन्हें प्रसन्नता होगी। पेट्रोल, डीजल पर केद्र की ओर से उत्पाद शुल्क और राज्यों में वैट लगाया जाता है। ये दोनों इनकी कीमत में आधे से अधिक का योगदान रखते हैं।
उदाहरण के तौर पर दिल्ली में पेट्रोल के 91.17 रुपये प्रति लीटर के दाम में टैक्स का हिस्सा 60% तक है। इसमें उत्पाद शुल्क का योगदान 36% तक है। वहीं दिल्ली में डीजल के 81.47 रुपए प्रति लीटर के दाम में 53% हिस्सा टैक्स का है। डीजल के खुदरा मूल्य में 39% तक हिस्सा उत्पाद शुल्क का है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त विधेयक 2021 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पेट्रोल, डीजल पर केन्द्र के साथ साथ राज्यों में भी टैक्स लगाया जाता है। वहीं केन्द्र सरकार अपने टैक्स संग्रह में से राज्यों को भी उनका हिस्सा देती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज की चर्चा के आधार पर मैं ईमानदारी से यह मानती हूं कि कई राज्य इसे देख रहे होंगे। जीएसटी परिषद की अगली (बैठक) में यदि इस पर चर्चा होती है तो इसे एजेंडा में शामिल करने और इस पर चर्चा करने पर मुझे प्रसन्नता होगी। मेरे पास इसको लेकर कोई मुद्दा नहीं है। राज्यों को आगे आकर इस पर चर्चा करने दीजिये। इस बारे में वहीं (जीएसटी परिषद) में ही बात होनी है। जीएसटी के मामले में जीएसटी परिषद सर्वोच्च नीति निर्णय लेने वाली संस्था है। वित्त मंत्री जीएसटी परिषद का नेतृत्व करतीं हैं जबकि राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।
इससे पहले लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने कहा कि डीजल, पेट्रोल और एलपीजी के ऊंचे दाम आम आदमी को परेशान कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से इन पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स की दरें कम करने को कहा। देश में इन दिनों पेट्रोल, डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चस्तर पर हैं।
एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क के तौर पर 38 रुपए प्रति लीटर लगाए जाते हैं जबकि राज्य में वैट 19 रुपए के करीब ही लगता है। सरकार को उत्पाद शुल्क कम करना चाहिए। बीएसपी के रितेश पांउे और टीआरएस के नामा नागेश्वर राव ने भी पेट्रोल, डीजल की ऊंची कीमत का मुद्दा उठाया।
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