नई दिल्ली : पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार चौथे दिन बढ़ोतरी हुई है। बुधवार (10 जून) को पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 45 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। 83 दिनों से अधिक के अंतराल के बाद, ईंधन दरों में पिछले रविवार से रोजाना संशोधन दिखाई देने लगा। पिछले चार दिनों में पेट्रोल की कीमत में 2.14 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 2.23 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
रविवार को पेटोल और डीजल की कीमतों में रोजाना बढ़ोतरी शु्रू हुई। रविवार को दोनों की कीमतों 60 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। सोमवार को भी दोनों में 60 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। मंगलवार को पेट्रोल 54 पैसे प्रति लीटर, डीजल 58 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ था।तेल कंपनी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण तेल कीमतों की रोजाना समीक्षा को रोक दिया गया था। जब बाजार में कुछ हद तक स्थिरता दिखने लगी है रोजाना मूल्य समीक्षा शुरू कर दी गई है। पेट्रोल और डीजल की दरें पूरे देश में बढ़ी हैं हालांकि लोकल टैक्स और वैट के चलते हर राज्य में कीमतें अलग-अलग होंगी।
नई दिल्ली: पेट्रोल 73.40 रुपए, डीजल 71.62 रुपए
मुंबई: पेट्रोल 80.40 रुपए, डीजल 70.35 रुपए
चेन्नई: पेट्रोल 77.43 रुपए, डीजल 70.13 रुपए
गुड़गांव: पेट्रोल 72.86 रुपए, डीजल 64.90 रुपए
हैदराबाद: पेट्रोल 76.20 रुपए, डीजल 70 रुपए
बेंगलुरु: पेट्रोल 75.77 रुपए, डीजल 68.09 रुपए
14 मार्च से रूकी हुई थी रोजाना समीक्षा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के लाभ को सोखने के लिए सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कीमतों की रोजाना समीक्षा रोक दी थी। इसके बाद सरकार ने 6 मई को एक बार फिर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 10 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया। इस वृद्धि के बाद पेट्रोल पर कुल उत्पाद शुल्क बढ़कर 32.98 रुपए लीटर और डीजल पर 31.83 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया।
कच्चे तेल की कीमत एक दशक में सबसे नीचे
तेल कंपनियों ने हालांकि, उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर नहीं डाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ उसे समायोजित कर दिया गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमत अप्रैल में एक दशक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची थी। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है।
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