प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (10 सितंबर) बिहार के लोगों की तरक्की के लिए कई घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने बिहार के किसानों को मछली पालन की ओर आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का शुभारम्भ किया। यह योजना 20,050 करोड़ रुपए की है। साथ ही प्रधानमंत्री ने ई-गोपाला ऐप भी लॉन्च किया। इस ऐप से किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाजार और सूचना की जानकारी मिलेगी। साथ प्रधानमंत्री बिहार में पशुपालन से जुड़े राष्ट्रीय गोकुल मिशन की भी शुरुआत की। बिहार की विकास परियोजनाओं में शामिल हैं:- सीतामढ़ी में फिश ब्रूड बैंक की स्थापना। किशनगंज में Aquatic Disease Referral Laboratory की स्थापना। मधेपुरा में फिश फीड मिल का उद्घाटन। पटना में ‘Fish on Wheels’ की दो यूनिट का शुभारंभ। पीएम ने कहा कि अब भारत उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जब गांव के पास ही ऐसे क्लस्टर बनेंगे जहां फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग भी लगेंगे और पास ही उससे जुड़े रिसर्च सेंटर भी होंगे। यानि एक तरह से हम कह सकते हैं- जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज जितनी भी योजनाएं शुरु हुई हैं, उनके पीछे की सोच ये है कि हमारे गांव 21वी सदी के भारत, आत्मनिर्भर भारत की ताकत बनें। कोशिश ये है कि मछली पालन से जुड़े काम, डेयरी से जुड़े काम, शहद उत्पादन से जुड़े काम, हमारे गांव को और सशक्त करें। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आज देश के 21 राज्यों में इस योजना का शुभारंभ हो रहा है। अगले 4-5 वर्षों में इस पर 20 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। इसमें से आज 1700 करोड़ रुपए का काम शुरु हो रहा है। बिहार के पटना, पूर्णियां, सीतामढ़ी, मधेपुरा, किशनगंज और समस्तीपुर में अनेक सुविधाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। इससे मछली उत्पादकों को नया इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा, आधुनिक उपकरण मिलेंगे, नया मार्केट भी मिलेगा।
पीएम ने कहा कि समंदर और नदी किनारे बसे क्षेत्रों में मछली के व्यापार-कारोबार को ध्यान में रखते हुए, पहली बार देश में इतनी बड़ी योजना बनाई गई है। आजादी के बाद इस पर जितना निवेश हुआ, उससे भी कई गुना ज्यादा निवेश प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पर किया जा रहा है। देश में मछली से जुड़े व्यापार कारोबार को देखने के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है। इससे मछली पालन से जुड़े लोगों को सुविधा हो रही है। कोशिश है कि आने वाले 3-4 साल में मछली निर्यात को दोगुना किया जाए। इससे मत्स्य क्षेत्र में ही रोजगार के लाखों अवसर मिलेंगे।
पीएम ने कहा कि नीतीश जी के नेतृत्व में बिहार में गांव-गांव तक पानी पहुंचाने पर तेजी से काम हो रहा है। 4-5 साल पहले बिहार के गांव में सिर्फ 2 प्रतिशत घरों में साफ पानी की सप्लाई थी। आज ये आंकड़ा बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक है। पीएम किसान सम्मान निधि से भी देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में सीधा पैसा पहुंचाया गया है। इसमें करीब 75 लाख किसान बिहार के भी हैं। जब से योजना शुरु हुई है, तब से अब तक करीब 6 हज़ार करोड़ रुपए बिहार के किसानों के बैंक खाते में जमा हो चुके हैं। इस बात पर बहुत जोर दिया जा रहा है कि मुफ्त राशन की योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का लाभ बिहार के हर जरूरतमंद साथी तक पहुंचे, बाहर से गांव लौटे हर श्रमिक परिवार तक पहुंचे।
पीएम ने कहा कि बिहार कोरोना के साथ-साथ बाढ़ का बहादुरी से सामना कर रहा है। कोरोना और बाढ़ के कारण बिहार समेत आस पास के क्षेत्रों में जो स्थिति बनी है उससे हम भली भांति परिचित हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों का प्रयास है कि राहत के कामों को तेज गति से पूरा किया जाए। कोरोना संकट के कारण शहरों से लौटे कई श्रमिक साथी पशुपालन की तरफ बढ़ रहे हैं। सरकार की तरफ से उन्हें प्रोत्साहन भी मिल रहा है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि आप आज जो कर रहे हैं, उसका भविष्य उज्ज्वल है। आज देश के 50 करोड़ से ज्यादा पशुधन को खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों से मुक्त करने के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। पशुओं को बेहतर चारे के लिए भी अलग-अलग योजनाओं के तहत प्रावधान किए गए हैं।
पीएम ने कहा कि पशुओं की अच्छी नस्ल के साथ ही उनकी देखरेख और उसको लेकर सही वैज्ञानिक जानकारी भी उतनी ही जरूरी होती है। इसके लिए भी बीते सालों से निरंतर टेक्नॉलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज ‘ई-गोपाला’ app शुरु किया गया है। ई- गोपाला app एक ऐसा digital माध्यम होगा जिससे पशुपालकों को उन्नत पशुधन को चुनने में आसानी होगी, उनको बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। ये app पशुपालकों को उत्पादकता से लेकर उसके स्वास्थ्य और आहार से जुड़ी तमाम जानकारियां देगा।
पीएम ने कहा कि बिहार के फल, चाहे वो लीची हो, जर्दालू आम हो, आंवला हो, मखाना हो, या फिर मधुबनी पेंटिंग्स हो,ऐसे अनेक प्रोडक्ट बिहार के जिले-जिले में हैं। हमें इन लोकल प्रोडक्ट्स के लिए और ज्यादा वोकल होना है। हम लोकल के लिए जितना वोकल होंगे, उतना ही बिहार आत्मनिर्भर बनेगा। पूर्णिया जिले में मक्का के व्यापार से जुड़ा ‘अरण्यक FPO’ और कोसी क्षेत्र में महिला डेयरी किसानों की ‘कौशिकी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी’, ऐसे अनेक समूह प्रशंसनीय और प्रेरक काम कर रहे हैं। बिहार के लोग देश में हों, या विदेश में, अपनी प्रतिभा से, परिश्रम से वो अपना लोहा मनाते रहे हैं। मुझे विश्वास है कि बिहार के लोग अब आत्मनिर्भर बिहार के सपने को पूरा करने के लिए भी इसी तरह काम करेंगे।
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