नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रही देश अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (29 जुलाई) शाम बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग के दौरान पीएम भविष्य के लिए विजन और रोडमैप पर विचार-विमर्श करेंगे। साथ ही कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था की स्थिति का जायजा लेंगे। सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस विचार-विमर्श के दौरान उपस्थित रहेंगे।
इस विचार-मंथन सत्र के एजेंडे में शामिल विषयों में लोन प्रोडक्ट और डिलीवरी के लिए प्रभावकारी मॉडल, टैक्नोलॉजी के जरिए फाइनेंसियल सशक्तिकरण और फाइनेंसियल सेक्टर के स्थायित्व एवं निरंतरता के लिए विवेकपूर्ण तौर-तरीके शामिल हैं। बैंकिंग सेक्टर दरअसल अवसंरचना, कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सहित स्थानीय विनिर्माण के फाइनेंसिंग के जरिए भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने में अहम भूमिका निभाता है। जहां तक फाइनेंसियल समावेश की बात है, यह टैक्नोलॉजी के जरिए फाइनेंसियल सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ भविष्य के दृष्टिकोण एवं रूपरेखा पर चर्चा और विचार-विमर्श करेंगे। बयान में कहा गया है कि मीटिंग के एजेंडे में लोन प्रोडक्ट और डिलिवरी के दक्ष मॉडल, टैक्नोलॉजी के जरिये वित्तीय सशक्तिकरण और फाइनेंसियल सेक्टर के स्थायित्व एवं बाजार में टिके रहने के लिए विवेकपूर्ण तौर-तरीके शामिल हैं।
बैंक ढांचागत सेक्टर, कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) समेत स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को वित्त सुविधा उपलब्ध कराकर आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रधानमंत्री पिछले कुछ सप्ताह से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर बैठकें कर रहे हैं और यह उसी कड़ी का हिस्सा है। मीटिंग में चर्चा अर्थव्यवस्था को गति देने पर केंद्रित हो सकती है। विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने देश आर्थिक वृद्धि दर में (-) 3.2 से (-) 9.5% तक की गिरावट का अनुमान जताया है।
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