घरेलू उड़ान की टिकटों पर हटा प्राइस कैप, एयरलाइंस आज से तय करेंगी हवाई किराया

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Aug 31, 2022 | 16:22 IST

प्राइस कैप के तहत भारतीय एयरलाइंस को 40 मिनट से कम की घरेलू उड़ानों के लिए 2,900 रुपये (GST को छोड़कर) से कम और 8,800 रुपये (GST को छोड़कर) से ज्यादा शुल्क लगाने की अनुमति नहीं थी।

price caps on domestic airfares removed with effect from 31 August
आज से एयरलाइंस तय करेंगी घरेलू उड़ान की टिकटों का किराया  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली। इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने प्लेन से सफर करने वालों के लिए बड़ी घोषणा की थी। सरकार ने कहा था कि वह 31 अगस्त 2022 से डोमेस्टिक हवाई किराए (Domestic Airfare) पर प्राइस कैप को हटा देगी। यानी अब एयरलाइंस लगभग 27 महीनों के बाद किराया (Flight Ticket) तय करने की स्वतंत्रता हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि कोविड -19 महामारी की वजह से हवाई टिकटों पर किराया सीमा 2020 में लगाई की गई थी।

केंद्रीय उड्डयन मंत्री ने किया था ऐलान
केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने यह घोषणा करते हुए ट्वीट किया था कि, 'हवाई किराए की सीमा को हटाने का निर्णय एयर टर्बाइन ईंधन (ATF) की दैनिक मांग और कीमतों के विश्लेषण के बाद लिया गया है। हम निश्चित हैं कि यह सेक्टर आने वाले समय में घरेलू यातायात में वृद्धि के लिए तैयार है।'

किस आधार पर लिया गया फैसला?
पिछले कुछ हफ्तों में जेट ईंधन (ATF Price) की कीमत में गिरावट को देखते हुए सरकार ने हवाई किराए की सीमा को खत्म करने का फैसला लिया है। दरअसल इस साल फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के बाद एटीएफ की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं।

सरकार के फैसले से क्या होगा असर?
कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एयरलाइंस अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कुछ रूटों पर कीमत कम करेंगी। यह उन्हें ग्राहकों को डिस्काउंट की पेशकश करने के लिए भी प्रेरित करेगा। हालांकि कुछ मार्गों पर प्रतिस्पर्धा कीमतों में वृद्धि का कारण भी बन सकती है।

क्यों लागू हुई थी ऊपरी और निचली सीमाएं?
तेल विपणन कंपनियों ने 1 अगस्त को दिल्ली में एटीएफ की कीमत में 12 फीसदी की कमी कर दी थी। इसके बाद इसका दाम 1.21 लाख रुपये प्रति किलोलीटर हो गया था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू टिकट की कीमतों में ऊपरी और निचली सीमाएं लागाई थीं। ऊपरी सीमा यात्रियों को उच्च लागत से बचाने के लिए थी, जबकि निचली सीमा को आर्थिक रूप से कमजोर एयरलाइनों की सुरक्षा के लिए लाया गया था।

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