बैंको के विलय होने से आपके लोन, फिक्स्ड डिपॉजिट, सेविंग अकाउंट, चेकबुक पर ये असर होगा

बिजनेस
Updated Sep 13, 2019 | 14:57 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

बैंकों के विलय होने का असर न सिर्फ उसके कर्मचारियों बल्कि ग्राहकों पर भी पड़ने वाला है। बैंकों के विलय के बाद आपका अकाउंट नंबर, चेकबुक, IFSC कोड सबकुछ बदल सकता है। यहां जानिए विलय का आप पर क्या असर होगा।

Bank Merger
बैंकों के विलय का ग्राहकों पर असर।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • बैंकों के विलय का बड़ा असर ग्राहकों पर पड़ेगा
  • आपके बैंक अकाउंट से जुड़ी कई तरह की जानकारियां बदल सकती है
  • आपकी चेकबुक, IFSC कोड भी बदल सकते हैं

यदि आपका बैंक किसी दूसरे बैंक में विलय हो गया है तो डरने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन, आगे चलकर किसी तरह की परेशानी से बचने के लिए इन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। 

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में सरकारी बैंकों की कुल संख्या को कम करने के लिए हाल ही में पब्लिक सेक्टर के बैंकों के एक महाविलय का ऐलान किया। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पब्लिक सेक्टर के बैंकों का विलय हुआ हो। 

2016 में देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक में उसके सिस्टर संस्थानों का विलय किया गया था और अभी हाल ही में अप्रैल में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के साथ विजया बैंक और देना बैंक का विलय कर दिया गया। 

विलय के वर्तमान दौर में, 4 बड़े बैंकिंग संस्थानों का गठन करने के लिए 10 PSU बैंकों का विलय किया जाएगा। सरकार द्वारा हाल ही में किए गए ऐलान के बाद, पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय होगा, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय होगा, यूनियन बैंक में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होगा और इंडियन बैंक में इलाहबाद बैंक का विलय होगा।

यदि इनमें से किसी भी बैंक में आपका बैंक अकाउंट है तो इस विलय के कारण आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेकिन, आगे चलकर किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना जरूरी है जिनके बारे में नीचे बताया जा रहा है।

सेविंग्स अकाउंट्स, लोन, और फिक्स्ड डिपॉजिट पर प्रभाव (Saving Account, Loan, Fixed Deposit)
नए संस्थान, एक सेविंग्स अकाउंट के साथ-साथ FD और नए लोन के इंटरेस्ट रेट में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन, यदि आपने MCLR के आधार पर किसी बैंक से लोन ले रखा है तो उसका इंटरेस्ट रेट उसके रिसेट पीरियड तक वही रह सकता है। बाद में, नए MCLR रेट के अनुसार इंटरेस्ट रेट में बदलाव हो सकता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशानुसार, सभी बैंकों को अपने रिटेल लोन को 1 अक्टूबर 2019 से रेपो रेट के साथ लिंक करना होगा। इसलिए, आपको रेपो रेट पर आधारित लोन में स्विच करने का ऑप्शन भी मिल सकता है।

दूसरी तरफ, आपके मौजूदा FD पर शुरूआती इंटरेस्ट रेट के साथ रिटर्न मिलता रहेगा; लेकिन, मैच्योरिटी के समय, मैच्योरिटी अमाउंट, नवविलित संस्थान में आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा।

अकाउंट नंबर, चेक बुक, पता और अन्य विवरणों पर प्रभाव (Account Number, Cheque Book)
यदि आपके बैंक का विलय किसी बड़े बैंक में हो गया है तो आपके बैंक का नाम और अकाउंट बदल सकता है। लेकिन, यदि ऐसा होता है तो आपको उसकी उचित जानकारी मिल जाएगी। आप बैंक के विलय का काम पूरा होने तक या नए संस्थान द्वारा नया चेक बुक जारी किए जाने तक, अपने मौजूदा चेक बुक का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं। 

बैंक एक सिंगल ब्रांच में समूहबद्ध होकर अपना काम कर सकता है; इससे, आपके बैंक का पता भी बदल सकता है। कहने का मतलब है कि विलय के बाद आपके बैंक का इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (IFSC), ऑनलाइन बैंकिंग लॉगिन और बैंक का मोबाइल एप्लीकेशन बदल सकता है। लेकिन, आप अपने मौजूदा डेबिट कार्ड का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं; बाद में आपको विलित बैंक से एक नया डेबिट कार्ड मिल जाएगा। 

अकाउंट होल्डर्स को क्या करना चाहिए? 
इस विलय का तत्काल प्रभाव, अलग-अलग जगहों पर अकाउंट होल्डर्स के KYC विवरणों पर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, विलय होने वाले बैंक के विवरणों के आधार पर आपको कई जगहों पर फिर से KYC करना पड़ेगा, जैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, म्यूच्यूअल फंड हाउस, इंश्योरेंस कंपनी, इत्यादि। 

अब, यदि नया बैंकिंग संस्थान अपना IFSC कोड, पता, अकाउंट नंबर, इत्यादि बदलता है तो आपको इन सभी जगहों पर यह जानकारी अपडेट करनी पड़ेगी जहाँ आपने पहले KYC किया था। 

यदि आपने म्यूच्यूअल फंड्स, इंश्योरेंस, या अन्य निवेश या पेमेंट्स जैसी सेवाओं के लिए ऑटो-डेबिट सुविधा के लिए रजिस्टर किया था तो आपको इन सेवाओं के लिए ऑटो-डेबिट के लिए फिर से अनुरोध करना पड़ सकता है।

इसी तरह, यदि विलय होने वाले इनमें से किसी भी बैंक में आपका एक सैलरी अकाउंट है तो सैलरी ट्रांसफर में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए आपको अपने एम्पलॉयर को अपने नए बैंकिंग संस्थान का विवरण देना पड़ेगा। 

सबसे अच्छा यही होगा कि आप उन सेवाओं की एक लिस्ट तैयार कर लें जो आपके बैंक अकाउंट से सीधे तौर पर जुड़ी हैं ताकि कहीं कुछ छूटने न पाए। इन बैंकों के विलय में कई महीने लगने की उम्मीद है क्योंकि इस प्रक्रिया को पूरा होने में काफी समय लगता है।

इसलिए, आपको डरने की जरूरत नहीं है और समय-समय पर अपने बैंक की तरफ से मिलने वाली जानकारी पर नजर रखें। विलय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आपको अपने पिछले बैंक की तुलना में एक बड़े, बेहतर, और अधिक कार्यकुशल संस्थान के साथ बैंकिंग करने का मौका मिलेगा।

(आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार डॉट कॉम) ( डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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