नई दिल्ली। रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म से लेकर रिनिग ट्रेनों में खाने पीने का समान बेचने वाले छोटे वेंडरों को अब रेलवे यूनियन का समर्थन मिल गया है। बीते 2 सालों में कोविड की वजह से काम बंद होने की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे वेंडरों की मांग है के समर्थन में रेलवे की वर्कर यूनियन NFRI के प्रेसिडेंट एम रघुवैया ने कहा कि हर गरीब वेंडर और कैटिरंग सर्विस देने वाले कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के लिए फेडरेशन का गठन किया गया। जो इनकी लड़ाई लड़ेगा।
इनीशिएटिव को NFRI का पूरा समर्थन होगा
इस मौके पर आयोजित बैठक में बोलते हुए रघुवैया ने कहा कि इनके पास न तो जॉब की सुरक्षा है और न ही मेडिकल सुविधा है। जबकि भारतीय रेल में काम करने वाले कर्मचारियों को बाकी सब सुविधाएं प्राप्त हैं। जो लोग सेल्फ इंप्लाॉयड हैं, उनके लिए संगठन द्वारा इसकी मांग करना एक सराहनीय काम है। उन्होंने कहा कि इस इनीशिएटिव को एनएफआईआर का पूरा समर्थन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ सरकार के सामने मांगे रखने से काम नही चलेगा, बल्कि उसके लिए कोशिश करनी होगी। आज डिर्पाटमेंटल कैटिरंग व्यवस्था को खत्म कर प्राइवेट कैटरिंग में पूजीपतियों को स्थान दिया जा रहा है इसके लिए सरकार नई पॉलिसी लेकर आई है। जबकि सरकार को चाहिए कि छोटे गरीब वेंडर को ज्यादा सुविधा देने के लिए पॉलिसी लाए। फेडरेशन के अध्यक्ष एस एन मलिक ने कहा कि जो भी एजेंडे में शामिल है, उसे फेडरेशन के जरिए पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा।
वेंडर की मृत्यु होने पर आश्रितों को दी जाए नौकरी
फेडरेशन के मुख्य संरक्षक बीसी शर्मा ने कहा कि वेंडर की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को नौकरी दी जाए। आज भी स्टाल बंद होने के कारण बेसहारा 40 बच्चों के लिए हमारी लड़ाई जारी है। आईआरसीटीसी बनाने पर टेंडर बड़े लोगों को दे दिए गए। इससे छोटे वेंडर्स को काफी नुकसान हुआ। बाजार के अनुसार जीएसटी बार बार लगाना ठीक नहीं। रविन्द्र गुप्ता ने कहा कि फेडरेशन समस्याओं के सामाधान के लिए सरकार पर दबाव बनायेगी। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों में वेंडरों को चिकित्सा सुविधा, भविष्य निधी की सुविधा, कार्य स्थल पर विश्राम गृह की सुविधा समेत मूल निवास से कार्य स्थल तक आने जाने के लिए बस पास की सुविधा आदि प्रमुख मांगे हैं।
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