नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 (RBI Annual Report) जारी कर दी है। ग्लोबल इकोनॉमिक पर केंद्रीय बैंक ने कहा है कि आउटलुक फिलहाल अनिश्चित है। भारतीय रिजर्व बैंक की प्राथमिकता महंगाई पर काबू पाना है।
आरबीआई ने आगाह करते हुए कहा कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI) के उच्च स्तर पर रहने की वजह से कुछ अंतराल के बाद रिटेल इन्फ्लेशन पर दबाव पड़ने का जोखिम है। औद्योगिक कच्चे माल की उच्च कीमतें, परिवहन लागत, वैश्विक लॉजिस्टिक और सप्लाई श्रृंखला में व्यवधान मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा रहे हैं। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई में तेज वृद्धि के बीच थोक और रिटेल मुद्रास्फीति में बढ़ते अंतर की वजह से मैन्युफैक्चरिंग की लागत का दबाव कुछ समय बाद रिटेल इन्फ्लेशन पर पड़ने को जोखिम है।
आरबीआई ने कहा कि इंक्लुसिव, टिकाऊ और संतुलित वृद्धि के लिए व वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बाद के प्रभावों से निपटने के लिए सुधार आवश्यक हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि आने वाले समय की वृद्धि का मार्ग सप्लाई पक्ष की बाधाओं को दूर करने, महंगाई को कम करने और कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीति को समायोजित करने के जरिए निर्धारित किया जाएगा।
मालूम हो कि आरबीआई ने सरकार को 30,307 करोड़ रुपये का डिविडेंड ट्रांसफर कर दिया है, जो 10 सालों में सबसे कम है।
RBI अगली MPC की बैठक में रेपो रेट बढ़ा सकता है-
आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि, 'अनिश्चितताओं के बीच महंगाई का रुख बदलती भूराजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।' तीन चौथाई कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर खतरा मंडरा रहा है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।