Loan against gold limit increased : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने हाल में 6% से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर लगाम रखने के लिए गुरुवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। धीमी पड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए केन्द्रीय बैंक ने कंपनियों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कर्ज पुनर्गठन की मंजूरी दे दी है। दूसरी तरफ घर-परिवारों को सोने के जेवर और आभूषणों के बदले मिलने वाले लोन की सीमा 75% से बढ़ाकर 90% कर दी है।
दास ने कहा कि सोने के आभूषण और जेवरों के बदले दिए जाने वाले कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया है। वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75% तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90% करने का फैसला किया गया है। यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी। आरबीआई ने विकासात्मक तथा नियामकीय नीतियों पर अपने बयान में कहा कि घरों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों पर कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को आगे और कम करने के मकसद से गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सोने के आभूषणों और अन्य अलंकारों को गिरवी रखकर लिए जाने वाले कर्ज के संबंध में स्वीकार्य मूल्य पर आधारित लोन अनुपात को 75% से बढ़कर 90% करने का फैसला किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह छूट 31 मार्च 2021 तक मिलेगी। आरबीआई द्वारा इस बारे में विस्तृत गाइडलाइन्स गुरुवार को बाद में जारी किए जाएंगे।
रिजर्व बैंक इससे पहले दो मार्च अंत और मई अंत में हुई दो मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में रेपो दर में कुल 1.15% की बड़ी कटौती कर चुका है। इसके बाद पिछले तीन दिन से चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बैठक में गहन विचार विमर्श के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखने का एकमत से फैसला किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने रेपो दर को 4%, रिवर्स रेपो दर 3.35% और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) को 4.25% पर बरकरार रखने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक जरूरी समझा जाएगा मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाए रखने का फैसला किया है। हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने पर भी ध्यान रहेगा। रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को सामान्यत: 4% पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही यह ऊंचे में 6% और नीचे में 2% तक भी जा सकती है। जून 2020 में खुदरा महंगाई दर इस दायरे को पार करती हुई 6.09% पर पहुंच गई।
दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अप्रैल- मई के निम्न स्तर से सुधार आना शुरू हो गया था लेकिन हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने से तेजी से बढ़ती गतिविधियां फिर कमजोर पड़ गईं। छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने खाद्य सामानों के महंगा होने की आशंका जताई है। उनके मुताबिक अगली तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। हालांकि, उनके मुताबिक 2020-21 की दूसरी तिमाही में इसमें कुछ नरमी आएगी।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया है। दास ने कहा कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी संकुचन के दायरे में रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में भी कुल मिलाकर इसके नकारात्मक रहने का अनुमान है। शक्तिकांत दास ने आवास क्षेत्र और छोटे गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त विशेष नकदी सुविधा उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।
कोविड- 19 से उत्पन्न बाधाओं से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ने बैंकों को कंपनियों के स्वामित्व में बदलाव किए बिना ही कर्ज समस्या का समाधान करने की अनुमति दी है। एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की भी अनुमति दी गई है।
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