RBI ने जारी की गाइडलाइंस, अब सिर्फ रेगुलेटेड कंपनियां ही दे पाएंगी लोन

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Aug 11, 2022 | 11:07 IST

नियामक ढांचा इस सिद्धांत पर आधारित है कि लोन देने का कारोबार सिर्फ आरबीआई द्वारा विनियमित या किसी अन्य कानून के तहत अनुमति वाली संस्थाओं द्वारा किया जाएगा।

RBI guidelines for Digital Lending apps to protect customers from fraud
डिजिटल लेंडिंग को लेकर RBI ने जारी की सख्त गाइडलाइंस (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर अब आरबीआई पहले से ज्यादा सख्ती से नजर रखेगा।
  • डिजिटल लोन के सेक्टर में बढ़ती गड़बड़ी को रोकने के लिए सख्त मानदंड तैयार किए गए हैं।
  • डिजिटल लेंडिंग ऐप्स यूजर इंटरफेस के साथ मोबाइल और वेब-आधारित एप्लिकेशन को संदर्भित करता है।

नई दिल्ली। देश में डिजिटल लेंडिंग (Digital Lending) से जुड़े फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी और गैरकानूनी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल लोन देने के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं। केंद्रीय बैंक ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के जरिए लोन देने सहित डिजिटल लोन के नियम के लिए एक रूपरेखा का अनावरण किया है।

नियामक ढांचे की थी आवश्यकता
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि डिजिटल लेंडिंग के डोमेन में तीसरे पक्ष के एंगेजमेंट, मिस-सेलिंग, डेटा गोपनीयता के उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दरों पर शुल्क लगाने और अनैतिक वसूली प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक ढांचे की आवश्यकता थी।

इस उद्देश्य के लिए, आरबीआई ने एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था, जिसने 13 जनवरी 2021 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और हितधारकों की टिप्पणियों को आमंत्रित करते हुए इसे केंद्रीय बैंक की वेबसाइट पर पेश किया था। केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल उधारदाताओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है- भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं और लेंडिंग कारोबार करने की अनुमति, अन्य वैधानिक और नियामक प्रावधानों के अनुसार लेंडिंग के लिए ऑथराइज्ड संस्थाएं (जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं हैं) और किसी भी वैधानिक या नियामक प्रावधानों के दायरे से बाहर उधार देने वाली संस्थाएं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि डिजिटल लोन (Digital Loan) सीधे लोन लेने वालों के बैंक अकाउंट में जमा किया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से। आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट मध्यस्थता प्रोसेस में लोन सर्विस प्रोवाइडर (LSP) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल लोन देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए।

केंद्रीय बैंक ने आगे कहा कि नियामक चिंताओं को कम करते हुए डिजिटल लोन विधियों के जरिए लोन देने के व्यवस्थित वृद्धि का समर्थन करने के लिए नियामक ढांचे को मजबूत किया गया है।

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