मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) की बैठक में क्या फैसले हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार (04 दिसंबर) को विस्तार से जानकारी दी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने एकमत से पॉलिसी रेपो रेट को बिना किसी फेरबदल के 4% रखने के लिए वोट किया। उन्होंने कहा कि MSF रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25% है और रिवर्स रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ 3.35% है। रेपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य खुदरा लोन पर ब्याज दरें यथावत रह सकती हैं।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति में नरम रुख को बरकरार रखा, सर्दियों में महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद जताई। दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में निर्णय किया। हम सुनिश्चित करेंगे कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी उपलब्ध हो, जरूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाएंगे। आरबीआई की अक्टूबर की पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी ऊंची महंगाई दर की वजह से ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया गया था। हाल में महंगाई दर 6% के पार निकल गई है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक वित्तीय प्रणाली में जमाकर्ताओं का हित सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार दिख रहा है, और क्षेत्र भी सुधार की राह पर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे करने के लिए जो भी जरूरी होगा हम करेंगे। वित्तीय बाजार व्यवस्थित तरीके से काम कर रहे हैं। कॉमर्शियल और सहकारी बैंक 2019- 20 का मुनाफा अपने पास ही रखेंगे और वित्त वर्ष के लिए किसी लाभांश का भी भुगतान नहीं करेंगे। आरबीआई इस साल फरवरी से नीतिगत दर या रेपो रेट में 1.15% की कटौती कर चुका है। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह 26वीं बैठक थी। इसमें तीन बाहरी सदस्य आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शंका भिडे हैं। समिति की यह तीन दिवसीय बैठक दो दिसंबर को शुरू हुई। इस एमपीसी बैठक का ब्योरा 18 दिसंबर को जारी किया जाएगा।
आरबीआई के अनुसार एमपीसी ने महंगाई दर ऊंची रहने की आशंका जताई है। हलांकि, जाड़े में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी और आपूर्ति व्यवस्था बेहतर होने से खुदरा महंगाई दर नीचे आने की उम्मीद है। आरबीआई ने वाहनों की बिक्री, बिजली खपत और माल ढुलाई जैसे आंकड़ों में सुधार को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2020-21 के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी संशोधित किया है। खुदरा महंगाई (सीपीआई) आधारित महंगाई दर सितंबर में 7.3% और अक्टूबर 2020 में 7.6% रही थी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 0.1% के साथ सकारात्मक दायरे में लौट आएगी, चौथी तिमाही में 0.7% की वृद्धि और पूरे वित्त वर्ष में कुल मिलाकर 7.5% की गिरावट रहने का अनुमान है। इससे पहले आरबीआई ने 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर में 9.5% गिरावट का अनुमान लगाया था। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में उम्मीद से कम 7.5% की गिरावट को देखते हुए आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये पहले लगाये गये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित किया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
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