नई दिल्ली। इस समय सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया महंगाई का सामना कर रही है। तेजी से आर्थिक रिकवरी के साथ- साथ अर्थव्यवस्थाएं और देशों के केंद्रीय बैंक हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आज यानी 3 अगस्त 2022 से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक सीमिति की बैठक (MPC Meeting) शुरू हुई। बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा 5 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) द्वारा किए जाएंगे। इस बैठक पर एक्सपर्ट्स के साथ- साथ आम नागरिकों की भी नजर है।
क्या फिर बढ़ेगी ब्याज दर?
अगर आबरतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में दोबारा वृद्धि का फैसला लेता है, तो इससे ग्राहकों पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि ऐसे में लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतीर की थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने हाल ही में संसद में कहा था कि सरकार की पूरी कोशिश है कि रिटेल महंगाई दर को सात फीसदी से नीचे लाया जाए। एक्सपर्ट्स की मानें, तो महंगाई दर को कम करने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है।
एक्सपर्ट की राय
CareEdge को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष 2023 के शेष अवधि में नीतिगत ब्याज दर में 100 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि कर सकता है। केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा है कि, 'कई कमोडिटी की कीमतों में नरमी के साथ, सीपीआई मुद्रास्फीति मौजूदा स्तरों पर व्यापक रूप से चरम पर जा चूकी है और चौथी तिमाही तक 6 फीसदी से नीचे की ओर जाने की उम्मीद है। हालांकि, घरेलू मुद्रास्फीति अभी भी अधिक है और वैश्विक कमोडिटी की कीमतें भी, हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई दर वृद्धि चक्र के फ्रंट-लोडिंग के साथ जारी रहेगा। हम आगामी नीति में रेपो दर में 50 बीपीएस की वृद्धि और उसके बाद एक और 50-बीपीएस दर वृद्धि की उम्मीद करते हैं जो वित्तीय वर्ष के अंत तक टर्मिनल रेपो दर को 5.90 फीसदी तक ले जाएगा।'
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