RBI गवर्नर की चेतावनी, कहा- इकोनॉमी के लिए खतरा है क्रिप्टोकरेंसी

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Feb 10, 2022 | 15:07 IST

RBI on Cryptocurrency: आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता के लिहाज से खतरा बताया है।

RBI on Cryptocurrency
RBI गवर्नर की चेतावनी, कहा- इकोनॉमी के लिए खतरा है क्रिप्टोकरेंसी (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों को आगाह किया है।
  • उन्होंने कहा है कि ऐसी संपत्तियों का कोई आधार नहीं है।
  • क्रिप्टो भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है।

RBI on Cryptocurrency: गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (RBI Monetary Policy) के निर्णय की घोषणा करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर अपना रुख दोहराया। उन्हें क्रिप्टोकरेंसी को 'हमारी वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा' कहा।

क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई का स्पष्ट रुख
मीडिया से बातचीत में दास ने कहा कि, 'जहां तक ​​क्रिप्टोकरेंसी का सवाल है, आरबीआई का रुख बहुत स्पष्ट है। निजी क्रिप्टोकरेंसी हमारी वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा हैं।'

दास ने आगे कहा कि उन्हें लगता है कि निवेशकों को सूचित करना उनका कर्तव्य है कि, वे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह के एसेट का कोई आधार नहीं है।

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फिजिकल रुपये की तरह होगा डिजिटल रुपया 
इस बीच, केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपये (Digital rupee) के बारे में भी बात की, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-23 (Budget 2022) के भाषण में 1 फरवरी को की थी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने बताया कि डिजिटल रुपया बिल्कुल सामान्य, फिजिकल रुपये की तरह होगा।

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग है डिजिटल रुपया?
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि, 'जैसे सामान्य रुपया आपके पर्स या जेब में रखा जाता है, वैसे ही डिजिटल रुपया आपके सेल फोन डिवाइस में रखा जाएगा। डिजिटल रुपये और निजी क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर यह है कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया जाएगा।

सावधानी से हो रहा है इसपर काम
डिजिटल मुद्रा के रोल आउट पर दास ने जवाब दिया कि वे सीबीडीसी (CBDC) के लिए कोई समयसीमा नहीं दे सकते। लेकिन उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे बहुत सावधानी से कर रहे हैं। हमें साइबर सुरक्षा और जालसाजी जैसे जोखिमों को ध्यान में रखना होगा। इसलिए, हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं और समयरेखा नहीं दे सकते हैं। डिप्टी गवर्नर ने आगे उल्लेख किया कि एक बार प्रस्तावित कानून में संशोधन के बाद, हम कॉन्सेप्ट और पायलट परियोजनाओं के अपने प्रूफ के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

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