आरकॉम कर्ज: अनिल अंबानी का दावा, चीन के तीन बैंकों को नहीं दी कोई निजी गारंटी

बिजनेस
भाषा
Updated Jun 23, 2020 | 20:37 IST

Reliance Communications loan : कर्ज तले दबे अनिल अंबानी ने दावा किया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए लिए कर्ज में चीन के बैंकों को कोई निजी गारंटी नहीं दी है।

RCom loan: Anil Ambani claims no personal guarantee to three Chinese banks
अनिल अंबानी फंसे कर्ज के जाल में 
मुख्य बातें
  • अनिल अंबानी ने चीन के तीन बैंकों से कर्ज लिया है
  • ब्रिटेन की अदालत ने 71.7 करोड़ डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया है
  • अंबानी ने कहा कि जिस गारंटी के आधार पर दावा किया गया, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं

मुंबई : मुश्किल वक्त से गुजर रहे कारोबारी अनिल अंबानी (Anil Ambani) ने मंगलवार को दावा किया कि उन्होंने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के कर्ज के लिए चीन के तीन बैंकों को कोई निजी गारंटी (personal guarantee) नहीं दी थी। गौरतलब है कि ब्रिटेन की एक अदालत ने उन्हें तीनों उधारदाताओं को 71.7 करोड़ डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया है। 

हालांकि, ऐसा लगता है कि उन्होंने यह संकेत दिया कि उन्होंने भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को एक निजी गारंटी दी है। एसबीआई ने 1,200 करोड़ रुपए की वसूली के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का रुख किया है। उन्होंने कहा कि दोनों मामलों एसबीआई और चीनी बैंक में समूह की कंपनी ने कर्ज लिया था और यह उनका निजी कर्ज नहीं था।

समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आरइंफ्रा) की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए अंबानी कहा कि इस समय दिवालिया हो चुकी आरकॉम ने जब 2012 में कर्ज लिया था, तो उन्होंने एक मुख्तारनामे पर हस्ताक्षर किए थे, जो चीनी बैंकों को एक गैर-बाध्यकारी आश्वासन-पत्र जारी करने तक सीमित है।

आरइंफ्रा ने एक बयान में अंबानी के हवाले से कहा कि जिस गारंटी के आधार पर दावा किया गया, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। ऑरइंफ्रा ने कहा कि चीनी बैंकों के दावों का मुकाबला करने के लिए वह भारत में उपलब्ध कानूनी उपायों का इस्तेमाल करेंगे।

यह मामला इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्जिम बैंक ऑफ चाइना से संबंधित है।

अनिल अंबानी ने शेयरधारकों से कहा कि वह आरकॉम समूह की सहायता करना चाहते थे और उनकी कोई व्यक्तिगत लाभ पाने की इच्छा नहीं थी और आश्वासन दिया कि इन कानूनी लड़ाइयों का आरइंफ्रा की भविष्य की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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