नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने मौजूदा आधार कार्डधारकों को नया नंबर जारी करने के लिए तंत्र और प्रक्रिया तैयार करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और यूआईडीएआई से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने व्यवसायी राजन अरोड़ा द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में आशंका जतायी गई है कि आधार संख्या सहित उनके व्यक्तिगत विवरणों से समझौता किया गया है।
याचिका में अदालत से अपील की गई है कि वह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को अरोड़ा को नया आधार नंबर जारी करने और निजता के मौलिक अधिकार की सुरक्षा और उल्लंघन व क्षति की रोकथाम का निर्देश दे। यूआईडीएआई की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि जैसे ही आधार नंबर जारी किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति और नंबर 'जीवन भर के लिए एक दूसरे से जुड़' जाते हैं।
हालांकि, अदालत ने जवाब दिया कि अगर ऐसा होता, तो यूआईडीएआई को बाहर निकलने वाले धारकों के लिए आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 23 (एन) के तहत नया आधार नंबर जारी करने की प्रक्रिया शर्तें को निर्धारित करने की शक्ति नहीं दी जाती। अदालत ने कहा कि आपके पास शक्ति है। इसे इतने तथ्यात्मक तरीके से नहीं पढ़ा जा सकता (यदि इसे बदला नहीं जा सकता) तो नियम को खत्म करना होगा। इसे किसी और तरह से प्रयोग किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि वह फिर भी इस बात पर सहमत है कि एक आधार संख्या को उपयोगकर्ता की 'जिद और पसंद' पर नहीं बदला जा सकता।
अधिवक्ता सोनल आनंद और सुरभि सिंह के माध्यम से दायर याचिका में, याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि उसका आधार नंबर कुछ अज्ञात विदेशी संस्थाओं से जुड़ा हुआ पाया गया था। इसके बाद, उन्होंने यूआईडीएआई से उनकी पहचान को लेकर गंभीर खतरे के आलोक में एक नया आधार नंबर जारी करने का अनुरोध किया। मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।
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