नई दिल्ली : कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पांच दिनों में विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी कि किस सेक्टर को कितना रुपया दिया गया। वित्त मंत्री ने आखिरी दिन बताया कि घोषित प्रोत्साहन आर्थिक पैकेज का कुल आकार 20.97 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। उधर बीजेपी को हमेशा साथ देने वाला संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के समर्थित श्रम संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस आर्थिक पैकेज से खुश नजर नहीं आर रहा है। उसने साफ-साफ कहा कि यह घिसा-पिटे उपाय हैं। अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई नए उपाय सामने लाएं।
आर्थिक हालत सुधारने के उपाय नहीं सोच पा रही है सरकार
बीएमएस ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि पहले तीन दिन की उमंग के बाद वित्त मंत्री की घोषणाओं का चौथा दिन देश और देश के लोगों के लिए दुखद दिन है। आठ क्षेत्रों कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान दिया गया है, लेकिन सरकार कह रही है कि निजीकरण को छोड़कर इसका कोई विकल्प नहीं है। यह इस बात का को दर्शाता है कि सरकार संकट के समय में आर्थिक हालत सुधारने के उपाय नहीं सोच पा रही है। बीएमएस ने अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने पर भी सुरक्षा की दृष्टि सेआपत्ति जताई है।
विदेशीकरण के लिए जमीन तैयार करता है निजीकरण
उसने कहा कि हर बदलाव का असर सबसे पहले कर्मचारियों पर पड़ता है। कर्मचारियों के लिए निजीकरण का मतलब बड़े पैमाने पर संबंधित सेक्टर में नौकरी का नुकसान, निम्न गुणवत्ता से निम्न नौकरियां, लाभ कमाना और शोषण का ही नियम बन जाना है। संगठन ने कहा कि निगमीकरण और पीपीपी से निजीकरण का रास्ता तैयार होता है, और निजीकरण अंतत: विदेशीकरण के लिए जमीन तैयार करता है। संगठन ने कहा है कि अंतरिक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में निजीकरण का हमारी सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
पांच किस्तों मे बताए गए ये हैं कुल प्रोत्साहन पैकेज
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