मोदी सरकार के अपने भी हैं नाराज, श्रम कानूनों के खिलाफ 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा BMS

बिजनेस
भाषा
Updated Oct 06, 2020 | 18:23 IST

RSS से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (BMS) संसद से पारित श्रम कानूनों के खिलाफ 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा।

RSS-linked trade union BMS to hold nationwide protest against labor laws on 28 October 
भारतीय मजदूर संघ 

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने मंगलवार को हाल में संसद से पारित श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि वह इन नये कानूनों के विरोध में 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेगी। BMS ने कहा है कि यदि सरकार उसकी मांगों पर गौर नहीं करती है तो उसने लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की भी योजना बनाई है। वह कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिये आम हड़ताल भी कर सकती है।

BMS के पदाधिकारियों ने ऑनलाइन आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संगठन के पिछले सप्ताह हुये 19वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्तावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। इस सम्मेलन में संगठन ने नये श्रम कानूनों में श्रमिकों के खिलाफ किये गये प्रावधानों को लेकर अखिल भारतीय स्तर पर लगातार विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। BMS ने सरकार से आग्रह किया है वह उसे और अन्य श्रमिक संगठनों को बातचीत के लिये बुलाये और श्रमिक विरोधी प्रावधानानों पर चर्चा करे।

सरकार ने सभी चारों श्रमिक कानूनों को इस साल दिसंबर में एक साल लागू करने की घोषणा की है। संसद ने हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में तीन श्रम संहिता विधेयकों को पारित किया है। इनमें औद्योगिक संबंध सहिंता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता को पारित किया है।

श्रम मंत्रालय ने इससे पहले पिछले साल पारित वेतन संहिता विधेयक को लेकर नियमों का मसौदा सभी मंत्रालयों विभागों को वितरित कर दिया था। लेकिन बाद में इसके क्रियान्वयन को रोक लिया गया। मंत्रालय सभी चारों कानूनों को एक साथ लागू करना चाहता था। उसके मुताबिक ये सभी संहितायें आपस में एक दूसरे से जुड़ी हैं।

BMS ने इन कानूनों में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को लेकर 10 से 18 अक्टूबर के बीच देशभर में ‘चेतावनी सप्ताह’ आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है। इसकसे बाद 28 अक्टूबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे और यदि फिर भी सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो उसके बाद दीर्घकालिक प्रदर्शन और राष्ट्रीय स्तर की आम हड़ताल का आयोजन किया जाएगा।

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