नई दिल्ली: पतंजलि तेल कंपनी रुचि सोया को खरीद लिया है। हालांकि अभी इसमें कई तरह की प्रक्रिया बाकि है। फिलहाल NCLT ने बाबा रामदेव की कंपनी की 4350 करोड़ रुपए की बोली को मंजूरी दे दी है। ये संशोधित बोली है। पतंजलि आयुर्वेद पिछले काफी समय से इस तेल कंपनी को खरीदना चाहती थी। रुचि सोया पर 9345 करोड़ रुपए का कर्ज है। वहीं 2800 रुपए इस कंपनी को क्रेडिटर्स को भी देना है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सिंगापुर की कंपनी डीबीएस ने पतंजलि की बोली के खिलाफ NCLT में अर्जी दी थी। NCLT ने इसे खारिज कर दिया है। रुचि सोया पर बड़े बैंकों का 9345 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें एसबीआई का कर्ज 1800 करोड रुपए है। वहीं सेंट्रल बैंक ने 816 करोड़ रुपए का कर्ज इस कंपनी को दे रखा है। पंजाब नेशनल बैंक ने 743 करोड़, स्टैनचार्ट ने 608 करोड़, डीबीएस ने 243 करोड़ रुपए का कर्ज रुचि सोया को दे रखा है।
9345 करोड़ रुपए में से पतंजलि इस कंपनी के लिए 4350 करोड़ रुपए दे रही है। इसका अर्थ है बैंकों को अपना आधे से भी ज्यादा कर्ज छोड़ना पड़ेगा। वहीं आरपी ने 2716.61 करोड़ रुपए के दावे इस कंपनी के लिए स्वीकार किए हुए हैं। इस ऑर्डर में ये नहीं कहा गया है कि इस रकम में से इन दावेदारों को कितनी रकम मिलेगी।
इस पूरे मामले की सुनवाई अब 1 अगस्त 2019 को होगी। NCLT ने रिजोल्यून प्रोफेशनल्स को कहा कि वो पूरी समाधान प्रक्रिया की सही लागत क्या है ये भी बताए। इस पूरे मामले पर ट्रिब्यूनल ने 43 पेज का ऑर्डर दिया। इस पूरे मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये है एक सकारात्मक कदम है जिससे स्वदेशी आंदोलन आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ये बेकार पड़े प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के लिए बड़ा कदम है। इससे स्वदेशी आंदोलन मजबूत होगा जिससे किसानों का भला होगा।
उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी रुचि सोया के इंफ्रास्ट्रक्चर को किसानों की बेहतरी के लिए उपयोग करेगी।
NCLT ने इस पूरे केस की सुनवाई 10 मई को पूरी कर ली थी और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा फंडिंग के 600 करोड़ रुपए जो कि आंतरिक संसाधनों से जुटाने थे उस पर सफाई मांगी थी। इस मुद्दे पर NCLT दो बार निर्देश दे चुका है। पतंजलि कह चुकी है कि 4350 करोड़ रुपए की फंडिंग में से 600 करोड़ रुपए वो आंतरिक संसाधनों से देगी पर इसका स्रोत नहीं बताया था।
दिसंबर 2017 में एनसीएलटी ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस की रुचि सोया के खिलाफ दिवालिया की अर्जी स्वीकार की थी। इसके लिए शैलेंद्र अजमेरा को रिजोल्यूशन प्रोफेशनल बनाया गया था। इससे पहले गौतम अडानी की कंपनी अडानी विल्मर की बोली मंजूर हो गई थी।
बाद में अडानी की कंपनी सबसे ज्यादा बोली लगाने के बाद भी पीछे हट गई। इसके बाद पतंजलि अकेली कंपनी रह गई। अप्रैल में पतंजलि ने बोली 140 करोड़ रुपए बढ़ाकर 4350 करोड़ रुपए कर दी।
रुचि सोया को खरीदने के बाद पतंजलि सोयाबीन तेल के बादर में बड़ी खिलाड़ी बन जाएगी। रुचि सोया के पास न्यूट्रीला, महाकोश, सनरिच, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड जैसे तेल के ब्रांड हैं। पतंजलि ने वित्तवर्ष 2018 में 12000 करोड़ रुपए का कारोबार किया। वित्तवर्ष 2017 में कंपनी का 10561 करोड़ रुपए का टर्नओवर था।
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