नई दिल्ली : सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि म्यूचुअल फंड बैंक नहीं हैं और उन्हें उनके जैसा व्यवहार करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के सदस्यों को संबोधित करते हुए त्यागी ने कहा कि डेट म्यूचअल फंड (बांड, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेश करने वाले) को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि निवेश और कर्ज में अंतर है। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड बैंक नहीं है और उन्हें उनके जैसा व्यवहार करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन ने कहा कि बैंकों के उलट म्यूचुअल फंड के लिए पूंजी पर्याप्तता की जरूरत नहीं है और न ही उनके पास बैंकों के लिए रिजर्व बैंक की तरह कोई अंतिम ऋणदाता है। उन्होंने कहा कि दैनिक आधार पर शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) के रूप में उनके पोर्टफोलियो का वास्तविक प्रतिबिंब पारदर्शिता और निवेशकों के विश्वास का आधार है।
त्यागी ने यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड को देश के शीर्ष 50 शहरों के अलावा दूसरे जगहों पर लोकप्रिय बनाने के लिए और प्रयास किए जाने की जरूरत है। म्यूचअल फंड उद्योग शुद्ध धन प्रवाह के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। पिछले पांच साल में हर साल औसतन 1.89 लाख करोड़ रुपए का म्यूचुअल फंड में प्रवाह में हो रहा है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अगस्त 2020 तक यह 1.99 लाख करोड़ रुपए है। त्यागी ने कहा कि म्यूचुअल फुंड योजनाओं का आकर्षण शहरी केंद्रों की ओर है। हमें शीर्ष शहरों के अलावा अन्य क्षेत्रों में इसे लोकप्रिय बनाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है।
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