भले ही शेयर बाजार नई बुलंदियों को छू रहा हो या मंदी के दौर से गुजर रहा हो, निवेश की कुछ गलतियां संभावित रूप से निवेशकों के वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। शेयर बाजार में, आज जो अच्छा दिख रहा है जरूरी नहीं कि वह हमेशा उतना ही अच्छा करे, और जो आज खराब प्रदर्शन कर रहे हैं वे भविष्य में भी ऐसे ही रहें। आइए, एक उदाहरण की मदद से इसे समझते हैं। एक समय था जब फोटोग्राफिक फिल्मों की बेहद मांग थी, और इससे संबंधित कंपनियों के शेयर काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। फिर डिजिटल क्रांति का दौर आया तब फोटोग्राफिक फिल्मों की जगह डिजिटल फोटोग्राफी ने ले ली। जिन निवेशकों ने इस बदलाव पर ध्यान नहीं दिया, वे अपना पैसा गंवा बैठे। इसी तरह, ऑनलाइन शिक्षा और मीटिंग से जुड़ी कुछ कंपनियों ने अपना व्यवसाय शुरू करते समय कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान वे खूब फले-फूले और कई गुना बढ़े जिससे उनके शेयरों की कीमतें आसमान छू गईं।
इस प्रकार, शेयर बाजार के निवेशकों को बदलते रुझानों के प्रति चौकस रहते हुए तदनुसार पोर्टफोलियो में जरूरी फेरबदल करना चाहिए। उन्हें कुछ अनुभवहीन निवेश गलतियों से भी बचना चाहिए, जिनमें से कुछ के बारे में मैंने नीचे चर्चा की है।
आपने शायद देखा हो कि जब शेयर बाजार में तेजी होती है तो कुछ निवेशक उससे भारी मुनाफा कमाने की डींगे मारते हैं, लेकिन जैसे ही बाजार में गिरावट आती है अपना नुकसान देखकर वे इसे कोसना शुरू कर देते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? क्योंकि वे लाभ अर्जित करने से पहले ही उस अनरियलाइज्ड गेन को मुनाफा मान बैठते हैं! मान लीजिए कि आपने 100 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 'कखग' के 1000 शेयर खरीदे, और कुछ हफ्तों के बाद इस शेयर की कीमत 300 रुपए तक बढ़ जाती है। तो क्या यह कहेंगे कि आपने प्रति शेयर 200 रुपए का लाभ कमाया? नहीं, आप ऐसा नहीं कह सकते क्योंकि आपने अब तक अपने शेयर बेचे नहीं हैं। इसलिए, जब तक आपकी जेब में यह मुनाफा नहीं आ जाता तब तक शेयर बाजार में इसे अपना लाभ मानने की गलती न करें।
क्या आप शेयरों में सिर्फ इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि आपको लगता है कि वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे? अगर आपका उत्तर हां है, तो आप बेवकूफी भरी गलती कर रहे हैं। अस्थायी तौर पर सकारात्मक खबरों या अफवाह के कारण भी कंपनी के शेयर की कीमत थोड़े समय के लिए बढ़ सकती है। इसलिए आपको संबंधित शेयर के विवरणों को अच्छी तरह से जांच-परख करने के बाद ही उस पर भरोसा करना चाहिए। जैसे कि किसी शेयर में पैसा लगाने से पहले आपको उस कंपनी की पृष्ठभूमि, पिछला प्रदर्शन, वित्तीय जांच आदि पर नजर डालनी चाहिए, और जब आप इसकी बुनियाद की मजबूती के बारे में सुनिश्चित हो जाएं तभी आपको इसके शेयरों में निवेश करना चाहिए।
कुछ निवेशक उच्च ब्याज दर पर कर्ज लेकर वाले उसे शेयर बाजार में निवेश करने की गलती करते हैं। उदाहरण के लिए, लगभग 10% -20% प्रति वर्ष की दर पर पर्सनल लोन लेकर उसे शेयर बाजार में निवेश करना बेहद जोखिम भरा हो सकता है। अगर वह स्टॉक निवेश अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो निवेशक को न सिर्फ उच्च ब्याज के साथ कर्ज का भुगतान करना होगा बल्कि निवेश में डूबा पैसा उसे बहुत तनाव में डाल सकता है। अस्थायी तौर पर नकदी की कमी के बीच थोड़े समय के लिए शेयर बाजार में निवेश करने के लिए मार्जिन फंडिंग या लेवरेज का उपयोग करना केवल उन निवेशकों के लिए सही साबित हो सकता है जो शेयर बाजार में विशेषज्ञता के साथ और उच्च जोखिम सहने की क्षमता रखते हैं।
निवेश करने के बाद लंबे समय तक और लगातार अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा न करना शेयर बाजार में निवेश के नजरिए से एक और गलती सिद्ध हो सकती है। समय के साथ स्टॉक के फंडामेंटल बदल सकते हैं। राजनीतिक जोखिम, नकदी जोखिम, ब्याज दर जोखिम, प्रतिस्पर्धात्मक खतरे और बाजार के रुझान में बदलाव कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से खरीदे गए शेयर आपकी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। अपने शेयरों की लगातार समीक्षा करने से आपको संबंधित जोखिमों का पता लगाने के साथ ही अपने निवेश पर अधिक रिटर्न हासिल करने के नजरिए से सुधारात्मक उपाय अपनाने में मदद मिल सकती है।
यदि स्टॉक की कीमत आपकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं बढ़ती है, तो अपने पूरा पैसा एक ही स्टॉक में लगाने से नुकसान की संभावना बढ़ सकती है। अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और नकदी की जरूरतों के अनुसार, विभिन्न सेक्टर के अलग-अलग शेयरों और विभिन्न एसेट क्लास के बीच अपने निवेश को बेहतर ढंग से डाइवर्सिफ़ाई कर ऐसी गलतियों से बचें। यदि आप अपने निवेश को डाइवर्सिफ़ाई करते हैं तो इससे न सिर्फ आपको कंपनी और क्षेत्र-विशिष्ट अस्थिरता जोखिम कम करने में बल्कि बाजार की अस्थिरता के दौरान भी बेहतर रिटर्न पाने में मदद मिल सकती है।
बाजार में तेजी होने पर यानी बुल मार्केट में, हर व्यक्ति अपने को शेयर बाजार का विशेषज्ञ समझने लगता है। हालांकि, कई निवेशक कोरे अफवाहों के आधार पर निवेश निर्णय ले बैठते हैं जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए, यह अहम है कि आप न सिर्फ केवल सेबी में पंजीकृत इक्विटी सलाहकारों से परामर्श लें बल्कि स्वयं से देखे गए फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषणों के साथ उनकी सलाह का सत्यापन करें। यदि आप स्वयं ऐसा करने में असमर्थ हैं तो आप पुस्तक और लेख पढ़कर या प्रतिष्ठित संस्थानों के उपयुक्त ऑनलाइन कोर्स से जुड़कर स्वतंत्र रूप से निवेश की शोध तकनीकों के बारे में अधिक जानना चाह सकते हैं।
किसी विशेष शेयर के मोह में पड़ना एक और मूर्खतापूर्ण गलती साबित हो सकती है। कुछ निवेशक लक्ष्य हासिल करने के बावजूद अपने शेयर नहीं बेचते हैं। स्टॉक में निवेश करने से पहले, अपना लक्षित रिटर्न और निवेश अवधि निर्धारित करें। मान लीजिए कि आप किसी शेयर में 60 फीसदी रिटर्न का लक्ष्य रखते हुए तीन साल के लिए निवेश करते हैं। यदि वह स्टॉक आपकी अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करता है और आपका लक्ष्य दो साल में प्राप्त हो जाता है, तो ऐसे स्टॉक में आगे निवेश बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है जब तक कि आपके पास ऐसा करने के लिए शोध आधारित मजबूत कारण न हों।
कई अन्य अनुभवहीन गलतियां हैं जिनसे एक स्टॉक निवेशक को हमेशा बचना चाहिए। उदाहरण के लिए, आपको शेयर में उछाल होने पर खरीदने और गिरावट होने पर उसे बेचने की आदत से बचना चाहिए। एक और गलती से बचने की जरूरत है, और वह है एक बार में पूरी राशि का निवेश करना। यदि शेयर बाजार नीचे जाने लगता है तो इससे भारी नुकसान हो सकता है। शेयर बाजार में स्थिर और सुनियोजित ढंग से निवेश करने से न सिर्फ उतार-चढ़ाव का जोखिम कम रह सकता है, बल्कि इससे आपको लंबी अवधि में अपनी लागत की एवरेजिंग का लाभ उठाने में भी मदद मिल सकती है।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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