भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने के शुरू में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करके इसे 4.4% कर दिया है और साथ ही कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) को भी आधा प्रतिशत बढ़ाकर 4.5% कर दिया है और जिसे तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। इस कदम से लोन लेना मंहगा हो गया है। दूसरी तरफ, डिपॉजिट पर ब्याज दर, जो पिछले कई वर्षों से लगातार कम हो रही थी, उसमें 25-50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है। दूसरे शब्दों में, नए ग्राहकों को अपनी डिपॉजिट पर अब अधिक ब्याज मिलेगा। ब्याज दरें, डिपॉजिट की अवधि, बैंक प्राईवेट है या सरकारी, या छोटा है या बड़ा, इन बातों पर निर्भर करती हैं। वरिष्ठ और बहुत अधिक वरिष्ठ नागरिकों को अपनी डिपॉजिट पर सामान्य नागरिकों की तुलना में 50 बेसिस प्वाइंट से 100 बेसिस प्वाइंट अधिक ब्याज दर प्राप्त होती है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पहले, औसत एफडी दर 5.25% प्रति वर्ष थी, जो अब आम नागरिकों के लिए 5.75% है। पिछली दर पर विचार करते हुए, 1 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट पर ग्राहक एक वर्ष की अवधि के बाद 1,05,354/- रुपए की राशि प्राप्त करते हैं। अतिरिक्त 50 बीपीएस प्वाइंट के साथ, समान डिपॉजिट राशि पर एक वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि 1,05,875/- रुपए होगी। इसके मायने हैं कि आपको अतिरिक्त 521/- रुपए की राशि प्राप्त होगी।
इसी तरह से, पिछली ब्याज व्यवस्था में 1 लाख रुपए की पांच वर्ष की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि मैच्योरिटी पर 1,29,796/- रुपए हो जाती। रिटर्न के तौर पर 50 बीपीएस बढ़ोतरी के कारण, पांच वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि अब 1,33,036/- रुपए हो जाएगी, जिसके मायने हैं कि आपको 3,240/- रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
नॉमिनल टर्म्स में, ब्याज रिटर्न बढ़ गई है। वास्तविक टर्म में, रिटर्न नेगेटिव हैं।
मौजूदा इंफ्लेशन रेट यानि 6.5% और इसके और अधिक बढ़ने पर विचार करते हुए, फिक्स्ड डिपॉजिट से रिटर्न कम हो गए हैं। मान लीजिए की इंफ्लेशन 6.5% है, और आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5.75% पर ब्याज दर है। इसके मायने हैं कि आप 0.75% की कुल मिलाकर नेगेटिव रिटर्न प्राप्त कर रहे हैं। जब आप अपने स्लैब के अनुसार टैक्स पर विचार करते हैं, तो आपकी नेट रियल रिटर्न बदतर हो जाती है। जब तक इंफ्लेशन के मद्देनजर रिटर्न नेगेटिव हैं, तब तक डिपॉजिट आकर्षक साबित नहीं हो सकती हैं क्योंकि समय के साथ-साथ इनमें वैल्थ में गिरावट होती है। जब इंफ्लेशन एक सहज स्थिति यानि 4-6% के आसपास आ जाती है, तो स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन ऐसा होता नजर आता नहीं है।
कंजरवेटिव (रूढ़िवादी) निवेशक
ऐसे निवेशक जो स्पष्ट रूप से अपने नकद बैलेंस को बनाए रखना चाहते हैं, उन्हें बैंक डिपॉजिट पर विचार करना चाहिए। यदि रियल रिटर्न नेगेटिव हैं, तो उन्हें वैल्थ में कमी का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे निवेशक जिन्हें अल्प से मध्यम समय में पैसे की जरुरत है
ऐसे ग्राहक जिन्हें आने वाले समय में फंड्स की जरूरत होगी या जो आपातकालीन फंड चाहते हैं, उन्हें बैंक डिपाजिट करवाने चाहिए। ईक्विटी मार्केट में अनिश्चितता को देखते हुए, अपने फंड्स की सर्वाधिक सुरक्षा को तय करने के लिए, अपनी आपातकालीन पूंजी को बैंक डिपाजिट में रखना समझदारी वाली बात होगी।
वरिष्ठ नागरिक
वरिष्ठ नागरिक, जो बहुत कम या बिलकुल ही जोखिम नहीं उठा पाने की स्थिति में होते हैं, उन्हें बैंक डिपॉजिट करवाने पर विचार करना चाहिए। क्योंकि वे उच्च ब्याज दर पाने के पात्र होते हैं, तो रिटर्न लगभग इंफ्लेशन के समान ही हैं। यह उनके लिए कोई लाभ या हानि न होने की स्थिति होगी।
ग्रोथ-ओरिऐन्टेड निवेशक
ऐसे ग्राहक जो रिटर्न को महत्व देते हैं और जो उच्च जोखिम उठाते हुए, समय के साथ अपने निवेश को बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं, उनके लिए बैंक डिपाजिट उपयुक्त निवेश नहीं हो सकती हैं। उन्हें अपने पोर्टफोलियो में ईक्विटी-ओरिऐन्टेड निवेश पर विचार करना चाहिए।
दीर्घकालिक निवेशक
अपने विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश के संबंध में 3-5 वर्ष से अधिक की लंबी अवधि की एप्रोच रखने वाले निवेशकों को बैंक डिपाजिट से दूर रहना चाहिए। क्योंकि उनके निवेश की सोच काफी लंबी है, जो 20 या अधिक वर्षों तक की हो सकती है, फिर चाहे उनके जोखिम उठाने की क्षमता कुछ भी क्यों न हो, उन्हें बैंक डिपाजिट से लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें बैंक डिपॉजिट्स निवेश से दूर रहना चाहिए।
आपकी एफडी रणनीति क्या होनी चाहिए?
यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना चाहते हैं, तो आप अपने रिटर्न को अधिकतम करने के लिए विभिन्न रणनीतियां अपना सकते हैं। जब तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं होती है, आप अल्पकालिक एफडी को चुन सकते हैं। जब रेट बढ़ जाते हैं, तो आप उच्च रिटर्न देने वाली एफडी को चुन सकते हैं। रिटर्न को अधिकतम करने का एक अन्य आदर्श तरीका लैडरिंग करना होगा। इससे आप अपनी डिपॉजिट को भिन्न भिन्न अवधियों और ब्याज दरों के लिए निवेश कर सकते हैं। इससे आपको अधिक ब्याज प्राप्त करने में मदद मिलेगी, तथा आपका पैसा एक ही रेट डिपॉजिट में रूका नहीं रहेगा। जब भी डिपाजिट मैच्योर होता है, आप उसे उच्च दर वाली एफडी में निवेश कर सकते हैं।
पब्लिक और प्राईवेट सेक्टर बैंकों की तुलना में छोटे फाइनेंस बैंक उच्च ब्याज दर देते हैं। आप अपने फंड्स में से कुछ राशि को छोटे फाईनेंस बैंक एफडी में डिपॉजिट करने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले, समझदारी से भरा निर्णय लेने में शामिल जोखिमों को समझ लें। आप एएए (AAA) रेटिंग्स वाली और उच्च रिटर्न रेट्स देने वाली कंपनियों की एफडी में भी निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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