बढ़ी हुई रेपो रेट के बीच क्या आपको होम लोन के लिए फिक्स्ड ब्याज दर चुनना चाहिए?

फ्लोटिंग रेट होम लोन वाले उधारकर्ताओं के लिए इसके नतीजे के तौर पर या तो लोन की अवधियों में वृद्धि हुई है या उनकी ईएमआई बढ़ गई है। सिर्फ दो महीने पहले, होम लोन दरें इस दशक के सबसे कम स्तर पर थीं। आपके निर्णय में सहायता के लिए, हमने फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट होम लोन्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार किया है।

Should you opt for a fixed interest rate for a home loan when the repo rate has gone up?
फिक्स्ड ब्याज दर होम लोन का संबंध होम लोन की पूरी अवधि के दौरान ब्याज दर फिक्स्ड रहती है। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इंफ्लेशन के बढ़ने के साथ, मई तथा जून में रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। आरबीआई द्वारा दो बार लगातार दर में बढ़ोतरी करने के मायने हैं कि इंफ्लेशनरी प्रेशर बना रहेगा। दरों को और अधिक बढ़ाए जाने की उम्मीद है और जरूरी भी है, ताकि इंफ्लेशन को नियंत्रित किया जा सके। रेपो में परिवर्तनों के साथ, उधारदाताओं ने होम लोन के उधारकर्ताओं की दरों को भी बढ़ा दिया है। फ्लोटिंग रेट होम लोन वाले उधारकर्ताओं के लिए इसके नतीजे के तौर पर या तो लोन की अवधियों में वृद्धि हुई है या उनकी ईएमआई बढ़ गई है। सिर्फ दो महीने पहले, होम लोन दरें इस दशक के सबसे कम स्तर पर थीं।

मई में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी के कारण न्यूनतम होम लोन ब्याज दरें 6.8% से बढ़कर 7.2% हो गई। 50 बीपीएस की हाल की बढ़ोतरी के नतीजे के तौर पर न्यूनतम दरें अब 7.3% से बढ़कर 7.7% की रेंज में पहुंच चुकी हैं। इस राजकोषीय वर्ष के दौरान 50-75 बेसिस प्वाइंट की संभावित बढ़ोतरी पर विचार करते हुए, न्यूनतम दरें बढ़ कर 8.5% हो सकती हैं। इसका असर लोगों पर पड़ेगा। इस तेजी से दरों में बढ़ोतरी से, किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसने पिछले दो वर्षों के दौरान सबसे कम दर पर फाईनेसिंग करवाई थी, उसे सौ या अधिक अतिरिक्त ईएमआई देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

उदाहरण के तौर पर, 20 वर्ष के लिए (240 महीने) 7% की दर पर 50 लाख के लोन की ईएमआई 38765/- होती है। 7.5% की दर पर इसी ईएमआई की कल्पना करने पर, जहां पर लोन की अवधि लगभग 23 महीने बढ़ जाएगी। इसी ईएमआई पर 8.5% की दर पर, अवधि लगभग 10 वर्ष के आसपास बढ़ जाएगी।

वर्तमान ब्याज दर परिदृश्य के चलते, अनेक उधारकर्ता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या उन्हें ब्याज दरों में होने वाली बढ़ोतरी से बचने के लिए फिक्स्ड-दर लोन पर शिफ्ट कर लेना चाहिए। आपके निर्णय में सहायता के लिए, हमने फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट होम लोन्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार किया है।

ब्याज दर

आपकी ईक्वेटेड मंथली इंस्टालमेंट्स (ईएमआई) को तय करने में ब्याज दर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, आपको फिक्स्ड और फ्लोटिंग दोनों होम लोन दरों को समझना चाहिए। जैसाकि नाम से ही पता लगता है, फिक्स्ड ब्याज दर होम लोन का संबंध होम लोन की पूरी अवधि के दौरान ब्याज दर फिक्स्ड रहती है। यह मार्केट के ट्रेंड्स के अनुसार कम या ज्यादा नहीं होती, इसलिए इससे उधारकर्ता को स्थिरता की एक भावना मिल जाती है। इससे आपको अपने मासिक खर्च की योजना बनाने में मदद मिलती है क्योंकि रिपेमेंट में कोई बदलाव नहीं होता है। दूसरी तरफ, फ्लोटिंग दर होम लोन पर ब्याज दर जारी मार्केट स्थिति के अनुसार कम या अधिक होती है। ब्याज दर को, बेस रेट और फ्लोटिंग रेट के साथ लिंक किया गया होता है। इसलिए, जब बेस रेट में परिवर्तन होता है, तो आपकी फ्लोटिंग दर भी बदल जाती है।

अब, उनके बीच में अंतर क्या है? फिक्स्ड ब्याज दर होम लोन आम तौर पर फ्लोटिंग ब्याज दर से अधिक होता है। उदाहरण के लिए, एक प्राईवेट बैंक द्वारा न्यूनतम 7.60% फ्लोटिंग रेट और 12% फिक्स्ड रेट का विज्ञापन दिया जाता है। इसके मायने हैं कि आपको फ्लोटिंग रेट होम लोन की तुलना में ईएमआई ज्यादा देनी होगी। साथ ही, जब दर में कमी होती है, तो फिक्स्ड-रेट होम लोन उधारकर्ता, निम्न दरों से लाभ प्राप्त नहीं कर सकता है।

इंफ्लेशन के विरूद्ध सुरक्षा

इंफ्लेशन के बढ़ने के साथ, रहन-सहन की लागत भी बढ़ रही है। इस प्रकार की स्थिति में, यह उपयुक्त होगा कि आप ऐसे अवसरों का लाभ उठाएं जिससे आपको अधिक पैसा कमाने में मदद मिलती है। सिद्धांत रूप से फिक्स्ड रेट होम लोन से आपको दर में होने वाली कम या अधिकता से सुरक्षा मिलती है। लेकिन, यदि इसे पहले से ही फ्लोटिंग दरों से अधिक तय किया गया है, तो वास्तव में इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा। इससे उस स्थिति में लाभ मिलता है जब इंफ्लेशन के कारण फ्लोटिंग दरों में बहुत अधिक बढ़ोतरी हो चुकी होती है, जो फिक्स्ड दरों से भी अधिक हो। यह ऐसी स्थिति है, जो संभव होती नज़र नहीं आती है। यदि आपने पिछले 2-3 वर्षों के दौरान फिक्स्ड रेट लोन लिया है, तो आप फ्लोटिंग रेट, जो कि गिर कर 6.40 हो गया था, की तुलना में बहुत अधिक प्रीमियम की अदायगी कर चुके हैं। और ऐसी स्थिति जहां पर आपके फिक्स्ड रेट, फ्लोटिंग दर की तुलना में कम हो जाते हैं, तो आपको मिलने वाला लाभ अभी भी सीमित ही होगा क्योंकि आप इस समय से पहले ही बहुत बड़ा प्रीमियम अदा कर चुके होंगे। दूसरा, इंफ्लेशन बढ़ने के बावजूद आपकी फ्लोटिंग दरों में कमी हो सकती है, लेकिन आपकी फिक्स्ड दरें उच्च बनी रहती हैं।

प्री-पेमेंट लागत

प्री-पेमेंट लागत का संबंध उस राशि से है जिसका आपको उस समय भुगतान करना पड़ता है, जब आप अपने कर्ज का समय से पहले भुगतान करते हैं। उधारदाता और नियम तथा शर्तों पर निर्भर करते हुए, फिक्स्ड दर होम लोन पर प्री-पेमेंट पेनल्टी वसूली जाती है। अनेक बैंक बकाया राशि पर 3% तक प्री-पेमेंट चार्ज लेते हैं। दूसरी तरफ, फ्लोटिंग रेट में, प्री-पेमेंट या अवधि से पहले लोन को चुकता करने के लिए इस तरह के कोई चार्ज नहीं लिए जाते हैं। बस एक छोटा सामान्य ब्याज भुगतान करना पड़ता है। यह फिक्स्ड रेट पेनल्टी से कम होता है।

रिफाइनेंस लागत

होम लोन रिफाईनेंसिग से ऐसा नया होम लोन लेकर जिसकी ब्याज दर कम है और नियम तथा शर्तें बेहतर हैं, आपको अपने मौजूदा होम लोन का भुगतान करने में मदद मिलती है। रिफाईनेंसिग से उधारकर्ताओं को फ्लेक्सिबल रिपेमेंट शर्तों के साथ उच्च ब्याज दर से निम्न ब्याज की ओर शिफ्ट करने में सहायता मिलती है। इससे उनकी दीर्घकालिक बचत में योगदान मिलता है। आप फ्लोटिंग से फिक्स्ड ब्याज दर और इसके विपरीत शिफ्टिंग कर सकते हैं। हालांकि इस प्रकार के कन्वर्जन की कुल लोन राशि के 2 प्रतिशत तक लागत वहन करनी पड़ती है। इसके मायने हैं कि 30 लाख रूपये के लोन पर, आपको 60,000/- रूपये तक की कन्वर्जन फीस देनी पड़ती है। इसलिए, रिफाईनेंसिग सुविधा का लाभ उठाने से पहले, यह उचित होगा कि आप यह समझने के लिए हिसाब-किताब कर लें कि आपको कन्वर्जन चार्ज के रूप में कितनी राशि अदा करनी होगी और आप कितना ब्याज बचा पाएंगे।

फिक्स्ड रेट होम लोन कब उपयोगी साबित होता है?

होम लोन का भुगतान अक्सर लंबी अवधि में किया जाता है। उस अवधि के दौरान, ब्याज दरों में अनेक उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। फ्लोटिंग रेट लोन के साथ, आपको गिरती ब्याज दरों का फायदा मिलता है, और साथ ही आप बिना किसी जुर्माने के लोन का समय से पहले भी भुगतान कर सकते हैं। दूसरी तरफ, बहुत ही उच्च इंफ्लेशन की स्थिति में, जहां पर सबसे कम ब्याज दरों से बढ़कर ब्याज दरें दो अंकों में पहुंच जाती है, तो आपको फिक्स्ड रेट लोन के साथ अल्पकालिक सुरक्षा मिल सकती है। कार और पर्सनल लोन फिक्स्ड रेट लोन के उदाहरण हैं। ये अल्पकालिक लोन होते हैं। फिक्स्ड या फ्लोटिंग, ब्याज में कोई बहुत अधिक अंतर नहीं होगा। इसलिए, इससे कोई नुकसान नहीं होता कि आप फिक्स्ड रेट को चुनते हैं और अल्प काल में खुद को दर में होने वाले उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करते हैं। बहुत कम स्थितियों में, यह होम लोन के बारे में भी सही हो सकता है। इस बात की बहुत कम संभावना होती है कि फिक्स्ड रेट कुछ उधारकर्ताओं के लिए अल्प अवधि में सही साबित होते हैं, जहां पर इंफ्लेशन नियंत्रण से बाहर की हद तक बढ़ जाती है और फ्लोटिंग दरों में बहुत अधिक बढ़ोतरी होती है। लेकिन, उधारकर्ताओं को अपना हिसाब-किताब कर लेना चाहिए और इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए। अधिकांश उधारकर्ताओं के लिए, यह संभवत: यह सही नहीं होगा। अधिकांश मामलों में, फ्लोटिंग रेट लोन जिसके साथ प्री-पेमेंट और प्री-क्लोज़ की सुविधा होती है, वह बेहतर होता है।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

 

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