होम लोन टिप्स (तस्वीर-Pixabay.com) 
एक होम लोन लेना, एक बहुत बड़ा फाइनेंसियल फैसला है। यह एक लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट है क्योंकि इसे लम्बे समय तक, करीब 20 से 30 साल तक, चलाना पड़ता है। इन्वेस्टमेंट की तरह, होम लोन पर भी रेगुलर नजर रखनी चाहिए जिससे कम इंटरेस्ट रेट्स का आनंद उठाने, कर्ज से जल्दी छुटकारा पाने, और ज्यादा पैसे बचाने में मदद मिलेगी। समय-समय पर होम लोन पर नजर डालते रहने से प्रीपेमेंट, लोन क्लोजर, ट्रांसफर, रिफाइनेंसिंग या टॉप-अप जैसे फैसले लेने में भी मदद मिलती है। कई उधारकर्ता, लम्बे समय में अपनी उधारी की लागत को कम करने के लिए अपने लोन को रिफाइनेंस करते हैं। आइए होम लोन रिफाइनेंसिंग ऑप्शन और उसके विभिन्न पहलुओं पर नजर डालें।
होम लोन रिफाइनेंसिंग क्या है?
होम लोन रिफाइनेंसिंग, किसी दूसरे उधारदाता से एक नया लोन लेकर अपने मौजूदा होम लोन को चुकाने की प्रक्रिया है। ऐसा करने की कई वजहें हो सकती हैं। उधारकर्ता अक्सर नए लोन के कम इंटरेस्ट रेट का लाभ उठाने के लिए ऐसा करते हैं।
होम लोन रिफाइनेंसिंग से कैसे मदद मिलती है
लोग, एक फ्लेक्सिबल रीपेमेंट प्लान के साथ-साथ बेहतर और कम इंटरेस्ट रेट्स पाने के लिए अपने होम लोन को रिफाइनेंस करते हैं। इसके निम्नलिखित लाभ हैं:-
- कम इंटरेस्ट रेट - कम इंटरेस्ट रेट के कारण होम लोन की कुल लागत कम हो जाएगी।
- EMI में कटौती - कम इंटरेस्ट रेट के कारण EMI कम या छोटी हो सकती है जिससे लोन से जल्दी छुटकारा पाने में मदद मिलती है जिससे डिस्पोजेबल इनकम बढ़ जाता है जिसे अपनी सेविंग्स बढ़ाने या इन्वेस्टमेंट जैसे दूसरे कामों में लगाया जा सकता है।
- ज्यादा लोन अमाउंट - लोन लेने के बाद हाउस बिल्डिंग प्लान में कुछ बदलाव होने पर एक्स्ट्रा फंड्स की जरूरत पड़ सकती है। होम लोन रिफाइनेंस एक बड़ा लोन अमाउंट दिलाने में मदद करता है।
- इंटरेस्ट रेट सिस्टम को स्विच करना - हो सकता है कि आपने अपनी मासिक देनदारी के बारे में आश्वास्त होने के लिए एक फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट होम लोन लिया हो। लेकिन, आगे चलकर आप देखते हैं कि फ्लोटिंग-रेट लोन ज्यादा सस्ते हैं। इसलिए, आप उसमें स्विच कर सकते हैं। लेकिन पहले अपने मौजूदा उधारदाता से जान लें कि लोन स्विच करने का ऑप्शन है या नहीं।
अपने लोन को रिफाइनेंस करने का फैसला- विचार करने लायक बातें,
होम लोन रिफाइनेंसिंग का ऑप्शन चुनने से पहले कुछ बातों पर विचार करना जरूरी है, जैसे:-
- नए लोन से जुड़े चार्ज और फीस: नया लोन लेने से पहले उससे जुड़े चार्ज और फीस के बारे में जान लेना चाहिए। नए लोन का इंटरेस्ट रेट, आपके मौजूदा लोन से कम होने के बावजूद, नए लोन की वैलुएशन फीस, प्रोसेसिंग फीस, और अन्य चार्ज ज्यादा होने पर वह आपके लिए महंगा साबित हो सकता है।
- बहुत बाद में नए लोन में स्विच करना: यदि आपने अपने मौजूदा होम लोन रीपेमेंट पीरियड की पहली चौथाई या आधा हिस्सा पार कर लिया है तो इसका मतलब है कि आप पहले ही बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दे चुके हैं। ऐसे समय में रिफाइनेंस से ज्यादा लाभ नहीं होगा।
- रिफाइनेंसिंग का जस्टिफिकेशन: रिफाइनेंसिंग की लागत, आपके पक्ष में होना चाहिए। इंटरेस्ट रेट्स में मामूली अंतर, जैसे 50 बेसिस पॉइंट्स से कम का अंतर, आपके लोन रीपेमेंट पीरियड में बहुत ज्यादा अंतर नहीं ला पाएगा लेकिन आपके पेमेंट्स में एक बड़ा अंतर ला सकता है। इसके अलावा, आप बेहतर ग्राहक सेवा या उधारदाता के कार्यालय की निकटता जैसे कारणों से भी स्विच कर सकते हैं।
- लोन मंजूरी प्रक्रिया: नए उधारदाता से रिफाइनेंस किए गए लोन को नया लोन माना जाता है। इसमें भी आपको आमदनी, पहचान, पता और संपत्ति दस्तावेजों के सत्यापन जैसी सामान्य लोन मंजूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। अपने मौजूदा उधारदाता से रिफाइनेंस करना ज्यादा आसान होगा।
लेकिन, रिफाइनेंसिंग का ऑप्शन चुनने से पहले उपरोक्त बातों पर विचार जरूर कर लें।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)