नई दिल्ली : कोविड- 19 महामारी के चलते लगाये गए लॉकडाउन का असर म्यूचुअल फंड उद्योग पर भी देखा गया। वित्त वर्ष 2020- 21 में म्यूचुअल फंड का एसआईपी संग्रहण 4 प्रतिशत घटकर 96,000 करोड़ रुपये रह गया। फायर्स में शोध प्रमुख गोपाल कवाली रेड्डी ने कहा कि आने वाले समय में कोरोना वायरस टीकाकरण की सफलता, उम्मीद से बेहतर आर्थिक परिदृश्य और अधिक आय जैसे कारकों का सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) पर प्रभाव रहेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रहण, ऑटो और आवासीय बिक्री जैसे सकारात्मक संकेतकों के अलावा बीच बीच में लगने वाले लॉकडाउन के साथ ही आईआईपी और मुद्रास्फीति आंकड़े चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक प्रगति को प्रभावित कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि गत मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान एसआईपी के जरिये कुल 96,080 करोड़ रुपए एकत्रित किए गए जबकि इससे पिछले साल 2019- 20 में इसके जरिए 1,00,084 करोड़ रुपए जुटाए गए। ये आंकड़े एसोसियेशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने उपलब्ध कराये हैं। इस दौरान एसआईपी में प्रवाह मार्च में समाप्त वर्ष के लिये औसतन 8,000 करोड़ रुपए प्रति माह रहा।
एसआईपी खुदरा निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड योजना में निवेश करने का तरजीही रास्ता बना रहा है। इसके जरिए निवेश करने से खुदरा निवेशक बाजार के जोखिम से बचते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान म्यूचुअल फंड उद्योग में एसआईपी योगदान लगातार बढ़ता रहा है।
वर्ष 2016- 17 में यह 43,921 करोड़ रुपए था, वहीं 2017- 18 में यह 67,190 करोड़ रुपए और 2018- 19 में यह 92,693 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इसके बाद 2019- 20 में एसआईपी का योगदान एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गया था।
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