चीन के कर्ज जाल में फंसी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था, दिवालिया होने की कगार पर

बिजनेस
सैय्यद अली अख्तर
Updated Jan 07, 2022 | 16:23 IST

Sri Lanka economy: टूरिज्म श्रीलंका के लोगों की आय का बड़ा जरिया है। पिछले साल नवंबर में श्रीलंका में महंगाई रिकॉर्ड लेवल पर पहुंची थी।

Sri Lanka economy trapped in China debt trap
चीन के कर्ज जाल में फंसी श्रीलांका की अर्थव्यवस्था, दिवालिया होने की कगार पर (Pic: iStock) 

Sri Lanka economy: चीन के कर्ज में डूबे पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था (Economy) बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। वहां महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए जूझ रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते खजाना लगातार खाली हो रहा है। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 10 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। चीन से लिया कर्ज चुकाना श्रीलंका के लिए मुश्किल हो गया है और वो कभी भी दिवालिया हो सकता है।

पटरी से उतरी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के पीछे सबसे बड़ी वजह उसका कर्ज में डूबना है जो कर्ज उसने चीन से ले रखा है। देश को अगले 12 महीनों में 7.3 अरब डॉलर यानी भारतीय करेंसी के हिसाब से करीब 54,000 करोड़ रुपए का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है. कुल कर्ज का लगभग 68% हिस्सा चीन का है. उसे चीन को 5 अरब डॉलर चुकाने हैं। पिछले साल श्रीलंका ने गंभीर वित्तीय संकट से निपटने के लिए चीन से अतिरिक्त 1 अरब डॉलर यानी करीब 7 हजार करोड़ का लोन लिया था, जिसका भुगतान किस्तों में किया जा रहा है। यही वजह है कि श्रीलंका आज दिवालिया होने की कगार पर आ गया है।

कैसे आई ये नौबत?
सवाल है कि आखिर ये नौबत आई कैसे के श्रीलंका को चीन से कर्ज लेना पड़ा और वो कर्ज में डूबता गया। दरअसल,टूरिज्म श्रीलंका के लोगों की आय का बड़ा जरिया है। करीब 5 लाख श्रीलंकाई सीधे पर्यटन पर निर्भर हैं, जबकि 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं. श्रीलंका की GDP में टूरिज्म का 10% से ज्यादा योगदान है। टूरिज्म से सालाना करीब 5 अरब डॉलर यानी करीब 37 हजार करोड़ रुपए फॉरेन करेंसी श्रीलंका को मिलती है। देश के लिए फॉरेन करेंसी का ये तीसरा बड़ा सोर्स है लेकिन कोरोना महामारी के चलते टूरिज्म सेक्टर ठप पड़ा है, यहां लोगों के पास रोजगार नहीं है.वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत से 5 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं.रोजगार न होने के कारण मजबूरी में लोगों को देश भी छोड़ना पड़ रहा है।

श्रीलंका की सरकार ने की 8 हजार करोड़ रुपये के रिलीफ पैकेज की घोषणा
हालांकि, श्रीलंका की सरकार ने 1.2 अरब डॉलर यानी भारतीय करेंसी के हिसाब से करीब 8 हजार करोड़ रुपये के इकोनॉमिक रिलीफ पैकेज की घोषणा की है। वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे का दावा है कि राहत पैकेज से महंगाई नहीं बढ़ेगी और कोई नया टैक्स भी जनता पर नहीं लगाया जाएगा। बता दें कि पिछले साल नवंबर में ही श्रीलंका में महंगाई रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में इकोनॉमिक इमरजेंसी घोषित की थी। इसके बाद खाने पीने और जरूरी सामान सरकारी कीमतों पर ही बिके इसकी जिम्मेदारी सेना को दी गई थी। इससे पहले श्रीलंका ने शॉर्ट टर्म रास्ता निकालने के लिए अपने पड़ोसी देश भारत से फूड,मेडिसिन इंपोर्ट करने के लिए क्रेडिट लाइन के साथ भारत,चीन और बांग्लादेश के साथ करेंसी स्वैप की थी।

दुनिय में महाशक्ति के रूप में उभ रहे चीन एक बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसके पास धन मौजूद है।ऐसे में वो इस धनबल का इस्तेमाल कर किसी विकासशील देश को सस्ता कर्ज देता है जब उन देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगता है तो चीन वहां  एसेट को टेकओवर कर लेता है।

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