गन्ने की FRA में हुई बढ़ोतरी से यूपी के किसान क्यों हैं नाराज? पंजाब सरकार की बढ़ोतरी के बाद यूपी में बढ़ा दबाव

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि गन्ने की एफआरपी में 5 रुपए बढ़ोतरी की गई है। इसका फायदा 5 करोड़ किसानों को होगा।

sugarcane FRA Increases, Why are UP farmers angry?
गन्ने की FRA में हुई बढ़ोतरी 
मुख्य बातें
  • गन्ने की FRA 285 को बढ़ाकर अब 290 रुपए कर दिया गया है।
  • किसानों के खातों में नई कीमत से करीब 1 लाख करोड़ अधिक भुगतान होगा।
  • केंद्र की बढ़ोतरी का असर उत्तर प्रदेश में नहीं पड़ेगा!

कुन्दन सिंह, विशेष संवाददाता, टाइम्स नाउ नवभारत

केंद्र सरकार ने बुधवार को अपने कैबिनेट फैसले में वर्ष 2021-22 के लिए गन्ने की एफआरपी यानी फेयर एंड रेमेन्यूटिव प्राइस में बढ़ोतरी करते हुए नई कीमत 290 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अबतक की अधिकतम बढ़ोतरी हैं वही 10 फीसदी रिकवरी के साथ पहले के 285 को बढ़ाकर अब 290 रुपए कर दिया गया है।।जिससे सीधे 5 करोड़ किसानों को फायदा होगा। वहीं किसानों के खातों में नई कीमतों से करीब 1 लाख करोड़ अधिक भुगतान होगा। 

केंद्र की इस घोषणा से देश के सबसे बड़े गन्ने उत्पादक राज्य पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार के पी मल्लिक मानते है कि केंद्र की बढ़ोतरी का असर उत्तर प्रदेश में नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां पर किसानों को एसएपी यानी राज्यों के द्वारा तय की गई कीमतें मिलती है। जहां पंजाब ने हाल ही में अपने यहां 350 रुपए की कीमतें देने का वादा कर यूपी की किसानों की बैचनी बढ़ा दी हैं। 

इसके अलाव यूपी का गन्ना बेल्ट जो कि हाल के किसान आंदोलन का सबसे बड़ा केंद्र रहा हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश  के किसानों की नाराजगी की 3 बड़ी वजहें हैं। बीते तीन सालों में गन्ने की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। मौजूदा दर 315 से 325 रुपये प्रति क्विंटल हैं। सरकार के 14 दिन के भीतर गन्ने के भुगतान के वादे के बाद भी बीते एक साल का बकाया करीब 6500 करोड़ रुपये है । अगर इसमें ब्याज को जोड़ दे तो ये आंकड़ा 7500 करोड़ के करीब चला जाता हैं।

इलेक्ट्रिसिटी रिफार्म के नाम पर नए स्मार्ट मीटर, बढ़ी हुई दर,  किसानों की बिजली बिल दोगुने से तीन गुना हो गया है। मलिक मानते है कि चुनावो से पहले सरकार इन तीनो मुद्दों पर किसानों को बड़ी राहत देकर इस पूरे रीजन के किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश जरूर करेगी। वरना आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका खासा नुकसान हो सकता हैं। 

इधर किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह का आरोप हैं कि सरकार ने बहुत चालाकी से कैलुकेशन बदलकर एफआरपी में बढ़ोतरी का दावा तो कर दिया पर इसका फायदा किसानों को नही मिल पायेगा। जहाँ पहले 9 फीसदी के बाद इंसेंटिव मिलना शुरू हो जाता था उसे अब 10 फीसदी कर दिया हैैं वही अगर बीते साल की तुलना में अगर केवल इंफ्लेशन से जोड़कर भी अगर 6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई होती तो शायद किसानों को संतोष होता। जहाँ पहले 9 फीसदी के बाद हर (.1) फीसदी की बढ़ोतरी पर 1 फीसदी इंसेंटिव के तौर पर कीमतों की भुगतान किया जाता था। पर अब उसे 10 फीसदी पर दिया गया है। 

वहीं भारतोय किसान यूनियन टिकैत गुट के प्रवक्ता धर्मेंद्र मल्लिक का आरोप लगाते हैं कि यूपी में स्टेट एडवाइजरी प्राइस में बीते 3 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं कि गई है। सरकार की खुद की संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सुगर केन रिसर्च सेंटर लखनऊ यूपी के आंकड़े हैं कि  1 क्विंटल गन्ने के उत्पादन में यूपी में 285 रुपया लागत आती है ऐसे में अगर सरकार अपने वादे के मुताबिक लागत पर 50 फीसदी मुनाफा देकर रेट तय करे तो गन्ने की कीमत यूपी में करीब 400 रुपये होना चाहिए।  मौजदा दर 325 रुपये प्रति क्विंटल हैं।

कैसे तय होती हैं गन्ने की कीमत 

गन्ने की कीमतें पेराई के बाद बनने वाली चीनी के रूप में जो रिकवरी होती है उसपर तय होती है। पहले समय में रिकवरी का पैमाना 9% होती थी। जिसे बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी गई है। इसका सीधा मतलब है कि किसान के 1 क्विंटल गन्ने से अगर 10 किलोग्राम चीनी बनती है तब उसका भुगतान बढ़ी हुई कीमत पर मिलेगी।। अगर उसका एफआरपी 9.5 फीसदी या उससे कम होने पर 270@क्विंटल पर मिलेगी। उसके ऊपर प्रति 100 ग्राम चीनी बढ़ने पर 1 फीसदी ज्यादा कीमत भुगतान होता है। यानी अगर किसी किसान के गन्ने से अगर प्रति क्विंटल 10किलो 100 चीनी निकली तो उसका दर 290 + 2 रुपए 90 पैसे यानी 292.90 पैसा दर होगा।
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर