ट्विन टॉवर:80,000 टन मलबा बदलेगा तकदीर, इन शहरों में घर खरीददारों की ज्यादा शिकायतें

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 29, 2022 | 13:19 IST

Supertech Twin Tower Demolished: सुपरटेक के ट्विन टॉवर देश के उस प्रॉपर्टी बाजार में मौजूद थे, जिसे सबसे ज्यादा हॉट मार्केट में से एक माना जाता है। इसी का असर है कि देश के 7 सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले प्रॉपर्टी बाजार में घरों की मांग भी ज्यादा है।

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सुपरटेक ट्विन टॉवर बनेंगे नजीर  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा में सबसे ज्यादा घर खरीददारों के सामने परेशानियां आ रही हैं।
  • रेरा के तहत 86,942 केस का निपटान किया गया था
  • देश के सात शहरों में 4.8 लाख घरों के निर्माण देरी से चल रहे थे और जिनकी वैल्यू करीब 4.48 लाख करोड़ रुपये थी।

Supertech Twin Tower Demolished: आखिरकार भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गए सुपरटेक के दोनों टॉवर गिरा दिए गए । इन टॉवर के गिरने के बाद सबसे बड़ी चुनौती 80 हजार टन मलबा हटाने की है। जिसके करीब 3 महीन में हटाया जाएगा। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने उन 26 अधिकारियों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं। जो कि इन दोनों टॉवरों के निर्माण की मिलीभगत में शामिल हैं। इसको लेकर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच राजनीति भी शुरू हो गई है। 

रियल एस्टेट सेक्टर में व्याप्त भ्रष्टाचार का प्रतीक बने इन दो टॉवरों के गिरने से एक उम्मीद भी जगी है कि क्या बिल्डर-अधिकारियों की मिलीभगत का गठजोड़ टूटेगा और घर खरीददारों को समय पर उनके घर, बिना किसी अड़चन से मिलेंगे। जून में आई एनारॉक कंसल्टेंट की रिपोर्ट के अनुसार मई 2022  तक देश के सात शहरों में 4.8 लाख घर के निर्माण देरी से चल रहे थे और जिनकी वैल्यू करीब 4.48 लाख करोड़ रुपये थी। वहीं अगर मार्च 2022 तक रेरा के तहत घर खरीददारों की शिकायतों की बात करें तो करीब 86,942 मामलों का निपटान किया गया था। आंकड़ों से साफ है कि ट्विन टॉवर तो बस एक उदाहरण है, घर खरीददारों की समस्याएं काफी गहरी हैं।

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80 हजार टन मलबे को हटाने में 3 महीने लगेंगे

ट्विन टॉवर को गिराने में 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। इमारतों के गिरने  के बाद जिस तरह वहां मलबा इक्ट्ठा हुआ है। उससे करीब 80 हजार टन मलबा निकला है। इसे हटाने को लेकर नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक (योजना) इश्तियाक अहमद ने बताया था कि 21,000 घन मीटर मलबे को वहां से हटाया जाएगा और पांच से छह हेक्टेयर की एक निर्जन जमीन पर फेंका जाएगा और  बाकी मलबा ट्विन टावर के भूतल क्षेत्र में भरा जाएगा। जहां एक गड्ढा बनाया गया है। अधिकारियों के अनुसार पूरे मलबे को हटाने में करीब 3 महीने का समय लगेगा।

7 शहरों का क्या है हाल

सुपरटेक का टॉवर देश के उस प्रॉपर्टी बाजार में मौजूदा था, जिसे सबसे ज्यादा हॉट मार्केट में से एक माना जाता है। इसी का असर है कि देश के 7 सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले प्रॉपर्टी बाजार में घरों की मांग भी ज्यादा है। इसलिए कीमतें भी ज्यादा हैं और रियल एस्टेट डेवलपर्स वहां पर ज्यादा से ज्यादा निवेश करते हैं। और उनमें से कई अथॉरिटी के अधिकारियों के मिली भगत से भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं। नतीजा प्रोजेक्ट में देरी, बिल्डर द्वारा किए गए वादों का नहीं पूरा करना जैसी समस्याएं घर खरीददारों को झेलनी पड़ती हैं, और वह कई बार सुपरटेक के घर खरीददारों जैसी लंबाई लड़ाई में भी समर्थन नहीं होते हैं। एनरॉक की रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल अटके प्रोजेक्ट में  से दिल्ली-एनसीआर-मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में 77 फीसदी मौजूद हैं। इसके अलावा बंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद में 9 फीसदी, जबकि पुणे में 9 फीसदी और कोलकाता में 5 फीसदी अटके प्रोजेक्ट हैं। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से मई 2022 के बीच करीब 37 हजार यूनिट को पूरा किया गया है।

इन 3 जगहों पर रेरा में सबसे ज्यादा मामले निपटे

राज्य रेरा के तहत मामलों का निपटान
उत्तर प्रदेश 34419
हरियाणा 18383
महाराष्ट्र 11621
देश में कुल मामलों का निपटान 86,942

घरों और खरीददारों के बीच किस तरह से विवाद बढ़ते जा रहे हैं। इसकी बानगी रेरा के तहत शिकायतों की संख्या और उनके निपटान से दिखाई देती है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने 28 मार्च को राज्य सभा में लिखित जानकारी देते हुए बताया था कि मार्च 2022 तक रेरा के तहत 86,942 केस का निपटान किया गया था। इसमें सबसे ज्यादा मामले यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा में थे। ये आंकड़े भी एनरॉक रिपोर्ट के ट्रेंड को ही दर्शाते हैं कि यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा में सबसे ज्यादा घर खरीददारों के सामने परेशानियां आ रही हैं।

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