AGR dues: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आरकॉम से 31000 करोड़, एयरसेल से 12000 करोड़ कैसे वसूलेंगे? जनता का पैसा है

बिजनेस
भाषा
Updated Aug 11, 2020 | 12:09 IST

दूरसंचाार विभाग ने कहा कि उसका यह मानना है कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम नहीं बेच सकती क्योंकि यह उनकी संपत्ति नहीं है।

Supreme Court asked- how will AGR dues be recovered from telecom companies RCom, Aircel, Videocon?
दूरसंचार कंपनियों पर सरकार का कड़ा रूख  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • सुपीम कोर्ट ने कहा कि एजीआर से संबंधित बकाया राशि को वसूलने की उसकी क्या योजना है
  • दूरसंचार विभाग के एजीआर से संबंधित बकाया राशि का क्या होगा?
  • कोर्ट ने दूरसंचार विभाग से कहा- आपको कुछ करना होगा। यह जनता का पैसा है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दूरसंचार विभाग से जानना चाहा कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रहीं दूरसंचार कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि की वसूली कैसे करेगी? क्या इन कंपनियों के स्पेक्ट्रम बेचे जा सकते हैं? जस्टिस अरूण मिश्रा, जिस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम आर शाह की पीठ को दूरसंचाार विभाग ने कहा कि उसका यह मानना है कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम नहीं बेच सकती क्योंकि यह उनकी संपत्ति नहीं है।

पीठ ने दूरसंचार विभाग की ओर से खड़े सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसे बताया जाए कि इन कंपनियों से एजीआर से संबंधित बकाया राशि को वसूलने की उसकी क्या योजना है। पीठ ने मेहता से कहा कि कृपया हमें बताएं कि यदि आरकॉम, एयरसेल और वीडियोकॉन जैसी कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं तो दूरसंचार विभाग के एजीआर से संबंधित बकाया राशि का क्या होगा। हमें बतायें कि आप आरकॉम से 31,000 करोड़ रुपए और एयरसेल से 12,000 करोड़ कैसे वसूलेंगगे। आपको कुछ करना होगा। यह जनता का पैसा है।

पीठ ने कहा कि अदालत को दिवाला और शोधन क्षमता संहिता के तहत दिवालिया कार्यवाही के लिए गई दूसंचार कंपनियों की वास्तविकता का पता लगाने की आवश्यकता है। मेहता ने कहा कि वह इस संबंध में हलफनामा दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि इन कंपनियां पर दिवाला संहिता के तहत कार्यवाही चल रही है और विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीली अधिकरण के आदेश के खिलाफ उनकी अपील शीर्ष अदालत में लंबित हैं। इनमें सवाल है कि क्या इन कंपनियों को आंबटित स्पेक्ट्रम बेचा जा सकता है या नहीं।

पीठ ने मेहता से जानना चाहा कि एनसीएलएटी ने स्पेक्ट्रम की बिक्री के बारे में उनकी याचिकाएं खारिज क्यों कर दी, इस पर मेहता ने कहा कि आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में विलंब के आधार पर। पीठ ने जानना चाहा कि अपील दायर करने में विलंब क्यों हुआ? अगर इस दौरान कपनियों ने स्पेक्ट्रम बेच दिया तो क्या होगा? पीठ ने कहा कि न्यायालय इन दूरसंचार कंपनियों के दिवालिया प्रक्रिया के लिए जाने की वजह जानना चाहता है और इन कंपनियों की देनदारियों के बारे में भी जानना चाहता है। दिवाला प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जल्दी क्या थी।

पीठ ने कहा कि वह यह भी जानना चाहती है कि स्वीडन की दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन की बकाया राशि का भुगतान करने के बावजूद आरकाम के खिलाफ दिवाला की कार्यवाही कैसे शुरू हुई। आरकॉम के लिए नियुक्त रिजोल्यूशन प्रोफेशनल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सारा घटनाक्रम पीठ को बताया। इस पर पीठ ने कहा कि उसका आदेश सभी अदालतों और अधिकरणों के लिये बाध्यकारी है। एरिक्सन को भुगतान किये जाने के बावजूद एनसीएलएटी दिवालिया कार्यवाही फिर से कैसे शुरू कर सकता है? पीठ ने इन कंपिनयों को सारे विवरण के साथ इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर हलफनामे दाखिल करने का निदेश दिया।

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