नई दिल्ली। हाल ही में राजधानी में केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति (New Excise Policy) लागू की थी और इसके साथ ही शराब की रिटेल दुकानों का संचालन अब निजी हाथों में चला गया। इसके तहत शराब के छोटे-छोटे ठेकों की जगह बड़ी दुकानें खुली। शराब की ये नई दुकानें किसी मॉल के स्टोर से कम नहीं हैं। लेकिन अब दिल्ली के निवासियों की टेंशन बढ़ गई है क्योंकि हो सकता है कि उन्हें अपनी पसंद की शराब ना मिले। दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में कई दुकानों में कुछ कैटेगरी की शराब में कमी देखने को मिल रही है।
क्यों हुई शराब की कमी?
नई शराब नीति की वजह से मौजूदा समय में दिल्ली में चल रही शराब की दुकानों की संख्या में भारी गिरावट आई है। शराब के आउटलेट चलाने वालों का कहना है कि सप्लाई चेन की समस्या की वजह से शराब की कमी है। कई आउटलेट्स पर कुछ प्रीमियम कैटेगरी की व्हिस्की एक लीटर से कम मात्रा में उपलब्ध ही नहीं हैं।
पूरी दिल्ली में शराब की सिर्फ 464 दुकानें
इस संदर्भ में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) के महानिदेशक विनोद गिरी ने आईएएनएस को बताया कि दिल्ली में निवासियों की सेवा के लिए करीब 850 आउटलेट होने चाहिए, लिकेन फिलहाल दिल्ली में सिर्फ 464 दुकानें हैं। उनका कहना है कि कनॉट प्लेस, साकेत और ग्रीन पार्क जैसे कुछ पॉश इलाकों में तो शायद ही कोई शराब की दुकान है। उन्होंने सरकार की नई आबकारी नीति पर कहा कि राजधानी के कुल 32 जोनों में से करीब 11 से 12 लाइसेंसधारियों ने अपना रिटेल लाइसेंस सरेंडर कर दिया, जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में अब शराब की कोई भी दुकान नहीं है। दरअसल जगह की कमी की वह से शराब के आउटलेट शराब का स्टॉक नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से कमी हो रही है।
बढ़ गई देसी शराब के आपूर्तिकर्ताओं के लाइसेंस की अवधि
मालूम हो कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में देसी शराब की सप्लाई करने वालों के लाइसेंस की अवधि एक महीने के लिए यानी 31 जुलाई 2022 तक बढ़ा दी है। अब लाइसेंस धारकों को एक महीने के लिए शुल्क का भुगतान करना होगा। इससे पहले भी लाइसेंस धारकों के लिए इसमें दो बार विस्तार किया जा चुका है। दिल्ली में रिटेल विक्रेताओं को L-3 लाइसेंसधारी देसी शराब बेचते हैं।
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