नई दिल्ली: राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता हथियाने के लिए मुफ्त रेवड़ी देने के चुनाव पूर्व वादों पर विवाद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने और अन्य संस्थाओं पर बोझ से बचने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए। एक कार्यक्रम में बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कि देश को इस पर बहस करनी चाहिए और हम सभी को बातचीत में शामिल होना चाहिए। पहली बात यह है कि हम सभी मानते हैं कि एक मुद्दा है। हमारी सरकार है मुफ्त उपहारों के बारे में बहुत जागरूक हैं। लोगों को सशक्त बनाना और सभी प्रकार की सहायता प्रदान करना, सुनिश्चित करना एक बात है ताकि वे उस दलदल से बाहर आ सकें और बाद में अपना काम कर सकें।
सीतारमण ने कई राज्यों में मुफ्त बिजली दिए जाने के वादों का जिक्र करते हुए कहा कि इन मुफ्त उपहारों का बोझ बिजली वितरण कंपनियों या उत्पादक कंपनियों पर नहीं डाला जाना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि अगर चुनाव के समय लोगों से कोई वादा किया गया है तो यह परस्पर लाभ का मामला बनता है। एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के तौर पर आपको सत्ता में आने के बाद इसके लिए बजट में प्रावधान भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में सरकारों की तरफ से किए गए मुफ्त उपहार के वादों के बाद कई बार उनका भुगतान पूरी नहीं किया गया और उसका बोझ कंपनियों को ही उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बोझ उन बिजली कंपनियों पर आ जाता है जिनका चुनावों से कोई नाता नहीं है। इन कंपनियों ने तो लोगों से वोट नहीं मांगे थे। फिर उन पर इन वादों का बोझ क्यों डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहस इस बात को लेकर नहीं है कि मुफ्त उपहार की श्रेणी में क्या आता है। सवाल यह है कि अगर आपने कोई वादा किया है तो उसके लिए प्रावधान भी किया जाए।
सीतारमण की यह टिप्पणी पिछले कुछ दिनों में मुफ्त उपहारों की संस्कृति को लेकर जारी बहस के बीच आई है। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों के बीच इन मुफ्त उपहारों को लेकर खासा विवाद मचा हुआ है। वित्त मंत्री ने इस मसले पर व्यापक चर्चा की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सरकार लोगों को गरीबी के चंगुल से बाहर निकालने और उन्हें सशक्त करने के लिए संसाधन मुहैया कराती है लेकिन इन्हें अधिकार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। सीतारमण ने मुफ्त उपहारों के संदर्भ में कहा कि भारत के लिए यह बहस का एक अहम मसला है और सभी लोगों को इस बहस में शिरकत करनी चाहिए।
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