Toor Daal Price Today : बीते 1 पखवाड़े में 25 रुपए किलो महंगी हुई तुअर दाल, इस वजह से बढ़े दाम, जानिए ताजा भाव

बिजनेस
आईएएनएस
Updated Oct 06, 2020 | 19:22 IST

बीते एक पखवाड़े में तुअर दाल 25 रुपए प्रति किलो से ज्यादा महंगी हो गई है, दाम में और इजाफा होने की संभावना बनी हुई है।

Toor Daal became costlier by Rs 25 per kg in last 1 fortnight; Price increase due to shortage in supply, Know latest rate
महंगी हुई तुअर दाल 

नई दिल्ली : देश की प्रमुख मंडियों में तुअर की आवक घटने से दाल की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। बीते एक पखवाड़े में तुअर दाल 25 रुपये प्रति किलो से ज्यादा महंगी हो गई है और आपूर्ति में कमी की वजह से दाम में और इजाफा होने की संभावना बनी हुई है। तुअर दाल का थोक भाव यानी एक्स-मिल रेट मंगलवार को 115 रुपये प्रति किलो था। ऑल इंडिया दाल मिल एसोएिशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि बीते एक पखवाड़े में तुअर दाल के दाम में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, तुअर का खुदरा भाव इस समय 120 रुपये से 140 रुपये प्रति किलो चल रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में खुदरा भाव और बढ़ने की संभावना बनी हुई है।

अग्रवाल ने कहा कि त्योहारी सीजन से पहले तुअर की आपूर्ति का टोटा पड़ने से दाम बढ़ने की संभावना से सरकार को अवगत करवाते हुए, कई बार पत्र लिखकर आयात के लिए लाइसेंस जारी करने की गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस साल चार लाख टन तुअर आयात का कोटा तय किया है, मगर आयात के लिए लाइसेंस अब तक जारी नहीं किया गया। कारोबारी बताते हैं कि तुअर के दाम में तेजी पर लगाम दो ही सूरत में लग सकती है। पहली, यह कि सरकारी एजेंसी नेफेड के स्टॉक में पड़ा तुअर (कच्चा) बाजार में उतारा जाय, या फिर तुअर आयात के लिए लाइसेंस जारी किया जाए।

इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष जीतू भेडा ने कहा कि नेफेड के पास इस समय आठ लाख टन तुअर का स्टॉक है, लेकिन पता नहीं चल रहा है कि सरकार इसमें से कितना बफर स्टॉक रखेगी और कितना बाजार में उतारेगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार नेफेड का पूरा स्टॉक निकाल देती है, तो फिर दाम में तेजी पर लगाम लग जाएगी। इसके अलावा, आयात के लिए अगर लाइसेंस जारी करती है, तो भी कीमतों में नरमी आ जाएगी।

आईपीजीए के अध्यक्ष ने बताया कि तुअर की नई फसल दिसंबर से पहले नहीं आने वाली है और तुअर की औसत खपत करीब तीन लाख टन होती है, ऐसे में नई फसल आने तक करीब नौ लाख टन तुअर की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए अगर आयात की अनुमति नहीं मिलती है, तो सरकार को अपना पूरा स्टॉक निकालना होगा।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन 40 लाख टन होने का आकलन किया गया है। दलहन बाजार के जानकार अमित शुक्ला कहते हैं कि तुअर के दाम में नरमी तभी आएगी जब आपूर्ति बढ़ेगी, क्योंकि आगे त्योहारी सीजन की मांग जोरों पर होगी।

बाजार सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, मंडियों में लेमन तुअर (वर्मा से आयातित) 74 रुपये प्रति किलो, जबकि देसी तुअर 83 रुपये प्रति किलो है। शुक्ला ने बताया कि, "कर्नाटक में हुई भारी बारिश से फसल खराब होने की आशंका जताई जा रही है और तुअर की फसल इस बार विलंब से बाजार में आ सकती है, क्योंकि कई जगहों पर अभी तुअर में फूल ही लगा है। उन्होंने हर नवंबर के आखिरी पखवाड़े में तुअर की आवक शुरू हो जाती थी, मगर इस साल दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक आवक शुरू हो सकती है।
 

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