नई दिल्ली : देश में कृषि सुधार के लिए दो अहम विधेयकों को लोकसभा ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों के विरोधों के बीच कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 संसद के निम्न सदन में ध्वनिमत से पारित हो गए हैं। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन को आश्वस्त किया कि इन दोनों विधेयकों से फसलों के एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू किया और फसलों का एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। तोमर ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक कृषि बाजार की बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में ही की थी। उन्होंने यह बात कांग्रेस सदस्यों द्वारा विधेयकों के विरोध पर कही।
भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधेयक को किसान विरोधी बताया। विधेयक लोकसभा में पारित होने के पहले शिअद कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तोमर ने कहा कि किसानों को इन विधेयकों के माध्यम से अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिलेगी। तोमर ने स्पष्ट किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा तथा राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। खेती में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सु²ढ़ होगी।
ये दोनों विधेयक कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे। चालू मानसून सत्र के पहले ही दिन 14 सितंबर को केंद्रीय मंत्री तोमर ने ये दोनों विधेयक लोकसभा में पेश किए थे जिन पर चर्चा के बाद लोकसभा ने अपनी मुहर लगा दी।
तोमर ने कहा कि विधेयक से किसानों को विपणन के विकल्प मिलेंगे, जिससे वे सशक्त बनेंगे। स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट अपने शासनकाल में लागू नहीं करने वाली कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि एमएसपी पर उपार्जन खत्म हो जाएगा,जो पूर्णत: असत्य है। उन्होंने कहा कि किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा व समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा तथा सरकार उसके हितों को संरक्षित करेगी। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, तय समयावधि में विवाद का निपटारा एवं किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा।"
तोमर ने कहा कि कृषक उपज व्योपार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी। उन्होंने कहा कि किसानों के पास फसल बेचने के लिए वैकल्पिक चैनल उपलब्ध होगा जिससे उनको उपज का लाभकारी मूल्य मिल पाएगा।
कांग्रेस, डीएमके, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने विधेयकों को किसान विरोध करार दिया और देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध बताया। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे कठोर विधेयक बताया और कहा कि इस विधेयक का पास होना संसद के इतिहास में काला दिन होगा। बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय ने देश के 86 फीसदी छोटे किसानों को धन्नासेठों और कॉरपोरेट के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है।
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