Ukraine-Russia War: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) के आर्थिक प्रभाव और उबलते कच्चे तेल की कीमतों (crude oil prices) को कम करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए गुरुवार शाम को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। रॉयटर्स ने एक सरकारी स्रोत का हवाला देते हुए इसकी सूचना दी।
वैश्विक बाजार में, ब्रेंट क्रूड की कीमतें (Brent crude price) 7 फीसदी से अधिक बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गईं, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद 2014 के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय तेल बेंचमार्क 100 डॉलर का आंकड़ा पार कर गया है।
वित्तीय स्थिरता के लिए चुनौती: वित्त मंत्री
वित्त मंत्री सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि रूस-यूक्रेन संकट और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि भारत में वित्तीय स्थिरता के लिए एक चुनौती होगी। उन्होंने कहा था कि, 'यह कहना मुश्किल है कि कच्चे तेल की कीमतें कितनी बढ़ेंगी। आज वित्तीय स्थिरता विकास परिषद (FSDC) में जब हम वित्तीय स्थिरता की चुनौतियों को देख रहे थे, तो इसमें क्रूड भी था। हमने आवाज उठाई कि हम यूक्रेन में विकसित हो रही स्थिति के लिए एक राजनयिक समाधान चाहते हैं।' CNBC TV18 के अनुसार, प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) ने वित्त मंत्रालय को मौजूदा उत्पाद शुल्क स्तरों का मूल्यांकन करने के लिए अवगत करा दिया है।
मालूम हो कि कच्चे तेल की कीमतों में प्रत्येक 10 फीसदी की वृद्धि पर भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 0.9 फीसदी से 1 फीसदी और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 0.4 फीसदी से 0.6 फीसदी की वृद्धि होती है। एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स एनालिटिक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि तेल की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से भारत का करंट अकाउंट घाटा करीब 15 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.4 फीसदी बढ़ जाता है। इससे रुपये में भी गिरावट आती है।
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