Union Cabinet Decisions: आज केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने कई बड़े फैसले लिए। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA), सेबी और कनाडा के मैनिटोबा प्रतिभूति आयोग के बीच हुए समझौते और जल प्रबंधन पर भारत व जापान के बीच हुए सहयोग ज्ञापन पर बड़ा फैसला लिया। आइए जानते हैं इनके बारे में।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान को मिली बढ़ाने की मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan) को साल 2025-26 तक के लिए बढ़ा दिया है।
इसके साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि, 'इस सरकारी योजना (Government Scheme) पर 2025-26 तक 5,911 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से केंद्र का 3,700 करोड़ रुपये और राज्य का 2,211 करोड़ रुपये का हिस्सा होगा।
क्या होगा लाभ?
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इसके जरिए 2.78 लाख रूरल लोकल निकायों को सस्टेनेबल डेवलप्मेंट लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। मालूम हो कि इससे पहले योजना के तहत 1.36 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। आगे और 1.65 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया जाना है। मंत्री ने बताया कि पूर्व की तुलना में इस योजना में 60 फीसदी राशि की वृद्धि की गई है।
सेबी-मैनिटोबा सिक्योरिटी कमिशन के बीच समझौते पर मंजूरी
इतना ही नहीं, आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बाजार नियामक सेबी (SEBI) और कनाडा के मैनिटोबा सिक्योरिटी कमिशन (Manitoba Securities Commission) के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी मंजूरी दे दी है। द्विपक्षीय मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) सिक्ययोरिटी रेगुलेशन के क्षेत्र में सीमा पार सहयोग के लिए एक औपचारिक आधार बनाने का प्रयास करता है। इस समझौते से मैनिटोबा के करीब बीस FPI को लाभ होगा। वे भारतीय बाजारों में निवेश के पात्र हो जाएंगे। मालूम हो कि इन एफपीआई के अधीन कुल एसेट 2,665 करोड़ रुपये है।
जल प्रबंधन पर भारत-जापान के बीच MoC को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिसेंट्रलाइज्ड घरेलू जल प्रबंधन के क्षेत्र के लिए भी बड़ा फैसला लिया। भारत और जापान के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ कॉर्पोरेशन (MoC) पर हस्ताक्षर को कार्योत्तर मंजूरी दे दी गई। यह जल मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ वॉटर रिसोर्सेज, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR, RD&GR) और जापान के पर्यावरण मंत्रालय के बीच हस्ताक्षर किया गया।
कोल बियरिंग एरिया एक्ट के तहत अधिग्रहीत भूमि के इस्तेमाल के लिए मंजूरी
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोयला और एनर्जी से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और स्थापना के लिए गैर-खनन योग्य भूमि (non-minable land) के उपयोग की नीति को भी मंजूरी दी है। यह नीति उन भूमियों के इस्तेमाल के लिए एक स्पष्ट नीतिगत ढांचा प्रदान करती है, जो कोयला खनन गतिविधियों के लिए उपयुक्त या आर्थिक रूप से ठीक नहीं है।
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