Federal Reserve Rate Hike And Impact on India: बढ़ती महंगाई और महंगे कर्ज से आपको जल्द राहत नहीं मिलने वाली है। क्योंकि एक बार फिर रुपया कमजोर होने और ब्याज दरें बढ़ने की अमेरिका से परिस्थितियां बन गई हैं। असल में बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। पिछले 40 साल की रिकॉर्ड महंगाई को देखते हुए फेड रिजर्व ने यह कदम उठाया है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसलों का सीधा असर डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति और शेयर बाजार में बिकवाली से लेकर अगस्त में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में बढ़ी हुई ब्याज दरों के रुप में दिख सकता है। अगर ऐसा होता है तो महंगाई से लेकर ब्याज दरों में बढ़ोतरी दिख सकती है।
फेड ने क्यों बढ़ाई ब्याज दरें
अमेरिका में जून के महंगाई के आंकड़े उम्मीद से ज्यादा आने के कारण फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का कदम उठाया है। अमेरिका में जून में महंगाई दर 9.1 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि फेड रिजर्व के लक्ष्य से करीब 2 फीसदी ज्यादा है। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि फेड एक बार फिर ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी करेगा। और उसी के अनुरूप उसने बढ़ोतरी की है। फेड रिजर्व ने बढ़ती महंगाई और मंदी की आशंका को देखते हुए कोविड दौर की जीरो फीसदी ब्याज दरों (Federal Funds Rate) को बढ़ाकर 2.5 फीसदी के करीब पहुंचा दिया है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल ने कहा है कि अमेरिकी इकोनॉमी के लिए सबसे बड़ा जोखिम लगातार बढ़ती महंगाई दर है। जहां तक आर्थिक मंदी को लेकर फेड के अध्यक्ष ने इतनी चिंता नहीं जताई है। वहीं उसने आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी के रफ्तार में कमी के भी संकेत दिए हैं। जिसका असर आज (गुरूवार) का भारतीय शेयर बाजार में तेजी के रुप में दिख रहा है।
भारत पर इस तरह हो सकता है असर..
शेयर बाजार में होगी बिकवाली- भले ही गुरूवार को शेयर बाजार में फ्यूचर की संभावना को देखते हुए तेजी देखी गई, लेकिन जिस तरह फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में महंगाई को सबसे बड़ा जोखिम बाताया है, उससे साफ है कि निवेशक (FII) आने वाले समय इमर्जिंग इकोनॉमी से बिकवाली करेंगे। एक तो वह दुनिया में मंदी की आशंका को देखते हुए गोल्ड और दूसरे सुरक्षित जगहों पर निवेश करेंगे। वहीं अमेरिका में ऊंची ब्याज दरों की वजह से वहां पर निवेश कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो उसका असर भारतीय शेयर बाजार पर दिखेगा। केवल 2022 में भारतीय बांड और इक्विटी बाजार से विदेशी निवेशकों ने 30 अरब डॉलर से ज्यादा का पूंजी निकाल ली है।
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कर्ज होगा महंगा और बढ़ेगी EMI
बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआई भी लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। लेकिन अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की तुलना फेडरल रिजर्व से की जाय तो उसके मुकाबले यह कम है। दो बार में फेड रिजर्व जहां 1.50 फीसदी ब्याज दरें बढ़ा चुका है, वहीं आरबीआई ने 0.80 फीसदी की बढ़ोतरी की है। ऐसे में संभावना है कि अगस्त में आरबीआई एक बार फिर 0.40 फीसदी या उसके करीब रेपो रेट बढ़ा सकता है। इस समय आरबीआई का रेपो रेट 4.90 फीसदी पर है। अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो एक बार फिर न केवल कर्ज महंगा हो जाएगा बल्कि मौजूदा कर्ज लिए हुए ग्राहकों की ईएमआई भी बढ़ जाएगी।
रुपया होगा कमजोर, बढ़ेगी महंगाई
पहले से डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के आस-पास फिसल रहे रुपये में और गिरावट की आशंका है। अगर विदेशी निवेशक बांड और इक्विटी मार्केट से बिकवाली करेंगे, तो डॉलर और मजबूत होगा और रुपये में गिरावट आएगी। और अगर रुपये में गिरवाट आई तो फिर आयात महंगा। जिसका सबसे ज्यादा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिख सकता है। और उसमें बढ़ोतरी से महंगाई में बढ़ोतरी होगी। और सीधा आम आदमी की जेब पर असर होगा।
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