Foxconn-Vedanta Plant In Gujarat: भारत में राजनीति आम तौर पर फ्री सब्सिडी, कर्ज माफी, जाति, धर्म आधारित ही होती रही है। आजाद भारत के इतिहास में ऐसे इक्का-दुक्का ही मौके बने हैं, जो किसी निवेश के लिए दो राज्यों में राजनीति गरमा गई है। ताजा मामला ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ वेदांता ग्रुप का नया समझौता है। जिसमें दोनों कंपनियां मिलकर गुजरात के अहमदाबाद के पास 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। जो कि अभी तक के सबसे बड़े कॉरपोरेट निवशों में से एक है। इस संयुक्त उपक्रम में वेदांता ग्रुप की 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी। जबकि फॉक्सकॉन की 40 फीसदी हिस्सेदारी होगी। नए प्लांट में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले ग्लॉस बनाए जाएंगे। इस समझौते के मौके पर वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि चिप मंगाने से लेकर चिप बनाने की आधिकारिक यात्रा शुरू हो चुकी है।
यहां तक तक तो मामला पूरी तरह से सही दिखता है। लेकिन राजनीति नए प्लांट के लगने वाले लोकेशन की वजह से शुरू हो गई है। क्योंकि दोनो कंपनियों की महाराष्ट्र सरकार से प्लांट को लेकर लगभग बात पूरी हो चुकी थी। और यह कवायद उद्धव ठाकरे सरकार के समय से चल रही थी। लेकिन उम्मीदों के विपरीत गुजरात में प्लांट लगाने के फैसले ने शिवसेना और कांग्रेस को एकनाथ शिंदे सरकार को घेरने का मौका दे दिया है।
महाराष्ट्र ने एक लाख नौकरियां गंवाई !
जैसे ही इस बात का ऐलान हुआ कि नया प्लांट गुजरात में लगाया जाएगा। उसी वक्त से महाराष्ट्र में विपक्षी दल शिंदे सरकार पर हमलावर हो गए हैं। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह सरकार खुद के लिए खोखे और महाराष्ट्र के लिए धोखे निर्माण कर रही है। सरकार को जवाब देने होगा कि प्रोजेक्ट अचानक गुजरात क्यों चला गया।साफ है कि उद्योगपतियों को सरकार पर भरोसा नहीं है।
प्रोजेक्ट के जरिए एक लाख नौकरियों के अवसर पैदा होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि उसने यह मौका गंवा दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार महाराष्ट्र सरकार और कंपनियों के साथ प्रॉजेक्ट फाइनल हो चुका था। इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात भी की थी, तालेगांव में 1,000 एकड़ से अधिक की जमीन भी देखी गई थी। इसके बावजूद प्रोजेक्ट हाथ से निकलना , महाराष्ट्र सरकार के लिए बड़ा झटका है।
भारत में खड़ा हो जाएगा 300 अरब डॉलर का बाजार
आज के जमाने में आप कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का नाम ले, उसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल जरूर होता है। सेमीकंडक्टर मोबाइल, कार, टीवी, वॉशिंग मशीन, रेफ्रीजरेट, टैबलेट, लैपटॉप आदि सभी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इस्तेमाल होता है।हाल ही में यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से दुनिया भर में चिप संकट खड़ा हो गया है। और कई कंपनियों के कारों को प्रोडक्शन घटाना पड़ा था।
इंडिया सेमीकंडक्टर मार्केट रिपोर्ट 2019-2026 के अनुसार भारत में 300 अरब डॉलर का बाजार खड़ा हो जाएगा। अभी मोबाइल,वियरेबल, आईटी और इंडस्ट्रियल सेगमेंट से 80 फीसदी रेवेन्यू आता है। और भारत अपनी 91 फीसदी जरूरतें आयात करता है। चीन और भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजार हैं।
चीन की बढ़ेगी टेंशन
चिप और डिस्प्ले फैब्रिकेशन में अभी ताइवान, चीन हॉन्गकॉन्ग,दक्षिण कोरिया का दबदबा है। अकेले ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है। ऐसे में जब भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले ग्लॉस का उत्पादन होने लगेगा। तो उसका सीधा असर भारत के आयात में कमी के रूप में दिखेगा। इंडिया सेमीकंडक्टर मार्केट रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2026 तक भारत अपनी जरूरतों की 17 फीसदी मांग स्थानीय स्तर पर पूरी कर सकता है।
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