नई दिल्ली। कर्ज में डूबी टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के भुगतान पर बड़ा फैसला लिया है। टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया ने अगले चार सालों के लिए 8,837 करोड़ रुपये के एजीआर (Adjusted Gross Revenue) को टालने का फैसला लिया है। इस संदर्भ में कंपनी ने सूचना में बताया कि टेलीकॉम विभाग ने 15 जून को वित्त वर्ष 2016-17 के बाद अतिरिक्त दो वित्त सालों के लिए एजीआर की मांग की है, लोकिन यह मांग वैधानिक बकाए पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश में शामिल नहीं थी।
सरकार करती है गणना
वोडाफोन आइडिया (Vi) ने कहा कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने टेलीकॉम विभाग के उक्त पत्र के अनुसार, एजीआर से संबंधित बकाया राशि को आगामी चार सालों की अवधि के लिए स्थगित करने के विकल्प को मंजूरी दे दी है। मालूम हो कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स से उनके एजीआर के आधार पर सरकार राजस्व के अपने हिस्से की गणना करती है।
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वोडाफोन आइडिया ने बतायाकि, 'टेलीकॉम विभाग के उक्त पत्र में कंपनी को एजीआर से संबंधित बकाया राशि के ब्याज को इक्विटी में बदलने का भी ऑप्शन दिया है। इसके लिए उक्त टेलीकॉम विभाग पत्र की तारीख से 90 दिनों का वक्त दिया गया है और कंपनी ने बकाया राशि के ब्याज को इक्विटी में बदलने का फैसला लिया है।
सरकार पहले ही वोडाफोन आइडिया के पिछले एजीआर अधिस्थगन के लगभग 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज भुगतान को लगभग 33 फीसदी हिस्सेदारी में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है।
किस कंपनी पर कितना बकाया?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 तक दूरसंचार ऑपरेटर्स पर सरकार का 1.65 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। ताजा गणना से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 तक भारती एयरटेल (Bharti Airtel) पर 31,280 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 59,236.63 करोड़ रुपये, रिलायंस जियो (Reliance Jio) पर 631 करोड़ रुपये, बीएसएनएल (BSNL) पर 16,224 करोड़ रुपये और एमटीएनएल (MTNL) पर 5,009.1 करोड़ रुपये बकाया है।
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