नई दिल्ली: खोजी पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था 'इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स' (ICIJ) ने 1.19 करोड़ दस्तावेजों को खंगाल कर दुनिया के सुपर रिच, बिजनेसमैन, नेताओं और सेलिब्रिटी के गुप्त कारोबार के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उनके अनुसार दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियों ने विदेश में अपने निवेश की जानकारी, अपने देश में संबंधित एजेंसियों को नहीं बताई। यानी उन्होंने टैक्स चोरी करने के इरादे से अपने निवेश को छिपाया। इस खुलासे में 300 से ज्यादा भारतीय नाम भी हैं। इनमें करीब 60 प्रमुख व्यक्तियों एवं उनकी कंपनियों की पड़ताल कर साक्ष्य जुटाए गए हैं। ये दस्तावेज ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, पनामा, संयुक्त अरब अमीरात, बेलीज, साइप्रस, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के 14 फाइनेंशिल सर्विस कंपनी से लीक हुए हैं। आईसीआईजे की रिपोर्ट में जो भी दावा एवं खुलासा किया गया है उसका 'टाइम्म नाउ हिंदी' स्वतंत्र रूप से उसकी पुष्टि नहीं करता है।
टैक्स चोरी के लिए क्या किया
रिपोर्ट के अनुसार सुपर रिच और प्रभावशाली लोग कानूनी तौर पर विदेशों में कंपनियां बनाकर कई सारी संपत्तियों की खरीदारी भी कर रहे हैं। इसके तहत 95,000 ऑफशोर विदेशी कंपनियां बनाई गई हैं। मसलन रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की कोर्ट में खुद को दिवालिया बताने वाले अनिल अंबानी की विदेश में 18 कंपनियां हैं। जबकि नीरव मोदी की बहन के बारे में दावा किया गया है कि नीरव के भारत से भागने के एक महीने के बाद ही उसकी बहन ने एक ट्रस्ट बनाया। रिपोर्ट के अनुसार किरण मजूमदार शाह के पति ने इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में प्रतिबंधित किए जा चुके एक व्यक्ति की मदद से एक ट्रस्ट की शुरुआत की। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पनामा पेपर्स खुलासे के बाद जांच एजेंसियों के दायरे में आए लोगों ने कानून की खामियों का फायदा उठाते हुए अपने कारोबार को बचाने के लिए ऑफशोर कंपनियां का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
क्या होती है ऑफशोर कंपनियां ?
तकनीकी रुप से ऑफशोर कंपनियां गैर-कानूनी नहीं होती है। पर ज्यादार टैक्स हैवन देशों में ऐसी कंपनियां किसी तरह के टैक्स, वित्तीय या कानूनी फायदे के लिए चोरी-छिपे शुरू की जाती हैं। ये कंपनियां, इनके जरिए अपने देश में इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स जैसे कई प्रकार के टैक्स से बच जाती हैं। ऑफशोर कंपनियों से कैसे फायदा मिलता है और कैसे टैक्स चोरी होती है, इस पर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल ने टैक्सपेयर एसोसिएशन ऑफ भारत के प्रेसिडेंट मनु गौड़ से बात की है।
गौड़ के अनुसार असल में पैंडोरा पेपर्स के जरिए जो खुलासे हुए हैं। उससे साफ है कि उसमें शामिल लोगों का टैक्स चोरी के लिए दूसरे देशों में कंपनी खोलना एक बड़ी वजह है। वह अपनी पहचान छुपाना भी चाहते है। इसका एक तरीका यह भी है कि टैक्स हैवन देशों में कंपनी खोलने के बाद भारत में उसकी ब्रांच खोल दी जाती है। चूंकि कंपनी विदेश में खोली जाती है। ऐसे में वह कंपनी भारतीय कानून के दायरे में नहीं आती है। जो भी कानूनी असर होगा, वह भारत में खोले जानी वाली कंपनी की ब्रांच पर होगा।
कई लोग इसके लिए शेल कंपनी भी खोल देते हैं। यानी कागज पर दिखाने के लिए कंपनी खुल जाती है। जिससे भारत और विदेश में एक्सपोर्ट और सर्विसेज बेनिफिट लिया जा सके। इसका इस्तेमाल झूठे कांट्रैक्ट दिखाकर शेयर मार्केट में किया जाता है। जिससे कि कंपनी की वैल्युएशन बढ़ जाय। टैक्स चोरी का यह भी एक तरीका है।
टैक्स हैवेन देशों में इस तरह की कंपनियां बनाना कहीं आसान होता है। और कई तरह की देनदारियों से भी वह बच जाते हैं।
क्या होते हैं टैक्स हैवेन देश
पनामा, बरमूडा, मोनाको, अंडोरा, बहामास, बरमूडा, बेलीज, कैमेन आइलैंड, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, कुक आइलैंड, जैसे देश टैक्स हैवन देशों की सूची में आते हैं। यहां पर विदेशी व्यक्तियों या बिजनेसमैन को बहुत कम या न के बराबर की टैक्स देनदारी बनती है। टैक्स हैवन देशों में टैक्स संबंधी फायदों को उठाने के लिए बिजनेसमैन का उसी देश में रहना कोई जरूरी शर्त नहीं होती, न ही बिजनेस को उसी देश में ऑपरेट करना जरूरी होता है। ऐसे में टैक्स चोरी के लिए यह देश मुफीद जगह बन जाते हैं।
(Times Now Hindi.Com पैंडोरा रिपोर्ट के खुलासे को सत्यापित नहीं किया है और इसकी प्रमाणिकता का दावा नहीं करता।)
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