नई दिल्ली: भूमि संबंधी विवादों और उससे होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम कसना एजेंसियों के लिए आसान होगा। इसके लिए सरकार की वन नेशन-वन रजिस्ट्रेशन योजना को जल्द अमलीजामा पहुंचाने की तैयारी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा है कि भूमि का डिजिटल तरीके से रिकॉर्ड रखा जाएगा। इसके लिए तकनीकी का सहारा लिया जाएगा । और जमीनों के डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किए जाएंगे।
आधार जैसा होगा यूएलपीआईएन (ULPIN)
वित्त मंत्री ने कहा है 'जमीन के डिजिटल रिकॉर्ड के लिए यूनिक लैंड पार्सल आईडेंटिफकेशन नंबर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और उसके रिकॉर्ड अनुसूची-आठ मौजूद भाषाओं में उपलब्ध होंगे।'
यूएलपीआईएन एक 14 अंकों वाली जमीन की यूनीक आईडी हो सकती है। यह ठीक उसी तरह होगी जैसे कि अभी एक व्यक्ति के पहचान के लिए 12 अंकों वाला आधार होता है। जिस तरह आधार से व्यक्ति की पहचान की जाती है, उसी तरह जमीन की पहचान हो जाएगी। इससे फायदा यह होगा कि एक क्लिक पर किसी भी जमीन की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। और किसी भी जगह से जमीन के बारे में जानकारी हासिल की जा सकेगी। सरकार का अगले वित्त वर्ष तक इसे पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य है।
ऐसे रूकेगा फर्जीवाड़ा
आए दिन ऐसे मामले सामने आते है कि एक ही जमीन पर एक से ज्यादा लोग मालिकाना हक जता रहे हैं। इसी तरह एक ही जमीन पर फर्जी तरीके से कई बैंकों से लोन लिया गया है। इसके अलावा मूल मालिक की जानकारी के बिना जमीन को दूसरे लोगों ने बेच दिया। इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।
यानी जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ या किसी तरह का हेर-फेर नहीं किया जा सकेगा। यूएलपीआईएन से जमीन की खरीद-बिक्री का पूरा ब्यौरा उपलब्ध होगा। वह किसने खरीदी, कितनी बार बेची गई, सब रिकॉर्ड मौजूद होंगे। फर्जी तरीके से जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। एक ही जमीन पर अलग-अलग बैंकों से लोन नहीं लिया जा सकेगा। ऐसा भी संभव है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री हो सके। इसके अलावा बेनामी लेन-देन पर रोक लगेगी। कुल मिलाकर जमीन को लेकर विवादों में कमी आएगी और फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी।
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93 फीसदी काम पूरा हो चुका है
ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार देश में कुल 6.56 लाख से ज्यादा गांव हैं। जिसमें से 6.09 लाख से ज्यादा राजस्व गांव हैं। इसमें से 93 फीसदी गांवों के भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण हो चुका है। सभी गांवों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होने के बाद उसे नेशलन डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम से जोड़े जाएगा। जिससे पूरे देश के जमीन के रिकॉर्ड एक साथ जुड़ जाएंगे। और उसके बाद यूनीक नंबर से जमीन की पूरी जानकारी एक क्लिक पर मिलेगी।
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