दिवाली आने वाली है। धनतेरस, दिवाली से पहले पड़ने वाला शुभ दिन है। इस दिन सोने में इन्वेस्ट करना बहुत शुभ माना जाता है। मौजूदा कोविड-19 वैश्विक-महामारी की छाया, इस साल के त्योहारों पर भी पड़ी है लेकिन इससे लोगों की अपनी परंपरा का पालन करने की इच्छा कम नहीं हुई है। सोना हमेशा से कई भारतीयों के लिए एक पसंदीदा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन रहा है, खास तौर पर फाइनेंसियल अनिश्चितता के दौरान।
अनिश्चितता के दौरान इसका मूल्य बढ़ने के कारण ही यह इतना लोकप्रिय है। कोविड-19 के कारण वैश्विक बाजार में भी अस्थिरता आ गई लेकिन इसने 50,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर को छूकर एक नया रिकॉर्ड बना लिया। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि सोने की मांग और कीमत, वैश्विक-महामारी के कारण मौजूदा अनिश्चितता के कारण बढ़ती रहेगी। ऐसे समय में, आपको अपनी जरूरत के आधार पर सोने में इन्वेस्ट करना चाहिए, न कि जोश में आकर। इसमें इन्वेस्ट करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
लोग कई कारणों से सोना खरीदते हैं। कोई इसे अपने निजी इस्तेमाल के लिए खरीदता है तो कोई अपने फाइनेंसियल फ्यूचर को सुरक्षित करने के लिए इसमें इन्वेस्ट करते हैं क्योंकि इसकी कीमत समय के साथ धीमी या मध्यम गति से बढ़ती रहती है और इमरजेंसी में इसे आसानी से लिक्विडेट किया जा सकता है।
सोने को गहने, बिस्कुट, या सिक्के के रूप में खरीदना, सोने में इन्वेस्ट करने का पसंदीदा तरीका है लेकिन यह एक महंगा तरीका भी है क्योंकि इसमें GST और मेकिंग चार्ज भी लगता है और इसमें इसकी शुद्धता की चिंता भी रहती है और इसे सुरक्षित रखने का खर्च भी उठाना पड़ता है। इसलिए, सिर्फ फिजिकल गोल्ड में इन्वेस्ट करना, ठीक नहीं है। आप गोल्ड ETFs, गोल्ड म्यूच्यूअल फंड्स, या सरकार-समर्थित सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) में इन्वेस्ट कर सकते हैं जहाँ शुद्धता, स्टोरेज और अन्य चार्ज की चिंता नहीं रहती है। लेकिन, आपको अपने पोर्टफोलियो वेटेज, बजट, और रिटर्न उम्मीद के आधार पर सावधानीपूर्वक गोल्ड इन्वेस्टमेंट प्लानिंग करनी चाहिए।
फिजिकल गोल्ड में इन्वेस्ट करते समय, सुनिश्चित करें कि ख़रीदा जाने वाला सोना, शुद्ध है - गहने की मानक शुद्धता, 22 कैरेट है, और सोने के सिक्के और बिस्कुट, 24 कैरेट सोने से बने होते हैं। सोने के गहने खरीदते समय, सोने पर ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BSI) मार्क देखना न भूलें। इसके अलावा, आपको सोने को वापस खरीदने की शर्तों के बारे में भी जान लेना चाहिए।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs), गोल्ड ETFs, गोल्ड म्यूच्यूअल फंड्स और डिजिटल गोल्ड खरीदना, सोने में इन्वेस्ट करने के कुछ असरदार विकल्प हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में SGBs 2020-21 का आठवाँ हिस्सा जारी किया है जो 13 नवम्बर 2020 तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है।
SGB की कीमत, 24 कैरेट सोने की कीमत से जुड़ी होती है। SGBs के नवीनतम हिस्से की डिस्काउंटेड कीमत, 5127 रु. है जो 24 कैरेट फिजिकल गोल्ड की कीमत के लगभग समान है। इस स्कीम में इन्वेस्ट करने पर, आपको सोने की वास्तविक कीमत के अलावा हर छः महीने पर 2.5% कम्पाउंडेड गारंटीड इंटरेस्ट इनकम भी मिलता है। 8 साल में मैच्योरिटी के बाद बेचने पर इसका रिटर्न पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है।
गोल्ड ETFs, एक इन्वेस्टर को सोने में डीमैटरियलाइज्ड रूप में इन्वेस्ट करने का मौका देता है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह ख़रीदा और बेचा जा सकता है। ये, SGBs से थोड़े अधिक लिक्विड होते हैं। गोल्ड ETFs के शॉर्ट-टर्म रिटर्न पर आपके इनकम टैक्स स्लैब रेट के अनुसार, जबकि लॉन्ग-टर्म रिटर्न (3 साल से अधिक) पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20.6% टैक्स लगता है। यदि आपके पास एक डीमैट अकाउंट नहीं है (जो कि गोल्ड ETFs में इन्वेस्ट करने के लिए जरूरी है) और आप चाहते हैं कि आपके इन्वेस्टमेंट्स को एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाय तो आप गोल्ड ETFs में इन्वेस्ट करने वाले टॉप-रेटेड गोल्ड म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं जिनमें इन्वेस्ट करने की लागत, गोल्ड ETFs से अधिक हो सकते हैं लेकिन उनमें आप एक गोल्ड ETF में कुछ ग्राम सोने में इन्वेस्ट करने की तुलना में SIP में इन्वेस्ट कर सकते हैं। इस बार धनतेरस पर आप डिजिटल गोल्ड भी खरीद सकते हैं। लेकिन, याद रखें, यह अभी भी एक अनरेगुलेटेड प्रोडक्ट है।
गोल्ड इन्वेस्टमेंट से जुड़े अपने पिछले आर्टिकल्स में, मैंने सुझाव दिया है कि आपका गोल्ड इन्वेस्टमेंट, आपके पोर्टफोलियो का 5-10% होना चाहिए। आपको अपनी पसंद के फंड्स, इन्वेस्टमेंट लक्ष्य, रिस्क चाहत, इन्वेस्टमेंट पीरियड और लिक्विडिटी जरूरतों के आधार पर इन्वेस्टमेंट सम्बन्धी फैसले लेने चाहिए।
सोने की कीमत काफी अधिक होने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता के कारण, आपको इसमें कोई बड़ा और लम्प-सम इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए। इसके साथ धार्मिक भावना जुड़े होने पर आप धनतेरस पर इसमें थोड़ा-बहुत इन्वेस्ट कर सकते हैं। बाद में, कीमत कम होने पर भी खरीद सकते हैं। याद रखें, सोने की कीमत, लम्बे समय तक एक जैसी बनी रहती है, इसलिए अपने पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा गोल्ड इन्वेस्टमेंट, आपके वेल्थ क्रिएशन में बाधा बन सकता है। इसलिए, लम्बे समय तक थोड़ा-थोड़ा खरीदते रहना बेहतर होगा।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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