Home Loan Repayment Strategy : इंफ्लेशन बढ़ रही है। और साथ ही, इंफ्लेशन को काबू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से एक कठोर रूख अपनाए जाने की उम्मीद थी। मई के पहले सप्ताह में, आरबीआई की मोनेट्री पॉलिसी समिति (एमपीसी) ने की-रेट्स में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। परिणामस्वरूप, मौजूदा रेपो रेट 4.4% हो गई है। बढ़ोतरी के बाद, संभव है कि बैंक अपने एक्स्ट्रनल बैंचमार्क लैंडिंग रेट को बढ़ा दें। विशेषज्ञों का यह मानना है कि 2 वर्षों के दौरान ब्याज दरों में 200 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होने की संभावना है। ऐसे उधारकर्ता जो पहले से ही लोन चुका रहे हैं, उन्हें अपनी समान मासिक किश्तों (ईएमआई) को बढ़ाना होगा या फिर अवधि में बढ़ोतरी करनी होगी। इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यदि आप होम लोन चुका रहे हैं और आप सोच रहे हैं कि अपनी ईएमआई को कैसे मैनेज करें, तो यहां पर कुछ स्ट्रेटीज़ दी गई हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं:-
ऐसे उधारकर्ता जिन्होंने उस समय लोन लिया था जब ब्याज दरें 9.5% के आसपास थीं, उन्हें निम्न ब्याज दर व्यवस्था का लाभ मिला होगा जब ये 6.4% के अपने न्यूनतम स्तर पर थीं। संभव है कि उन्होंने अपनी ईएमआई और अवधि को कम करने के लिए अपने लोन को रिफाईनेंस करवा लिया होगा। महत्वपूर्ण दरों में बढ़ोतरी के कारण नए होम लेने वाले उधारकर्ताओं को तकलीफ हो सकती है। दर में बढ़ोतरी का अर्थ है कि ईएमआई पेमेंट में और लोन अवधि में काफी अधिक बढ़ोतरी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपने 20 वर्ष के लिए 50 लाख रूपये का होम लोन 7% ब्याज दर पर लिया है, तो आपकी ईएमआई और देय ब्याज क्रमश: 38,765/- रूपये और 43.03 लाख रूपये होंगे। मान लीजिए कि ब्याज दरों में संशोधन किया जाता है और इसे बढ़ाकर 7.4% कर दिया जाता है, तो आपकी देय ईएमआई 39,974/- रूपये और ब्याज बढ़कर 45.93 लाख रूपये हो जाएगा। आपकी अवधि में भी इस मामले में 18 महीनों की बढ़ोतरी हो सकती है।
ऐसी स्थिति में प्री-पेमेंट से सहायता मिलती है। इससे न केवल आपके ब्याज भार में कमी होती है बल्कि साथ ही अतिरिक्त ईएमआई भी कम होती हैं। इसलिए, आपकी नियमित ईएमआई भुगतान के साथ-साथ, आप किसी भी प्रकार की होने वाली अचानक आय, बोनस, वेतन वृद्धि या किसी अन्य फंड का प्रयोग कर सकते हैं और आप अपनी नियमित ईएमआई के अलावा अपने लोन के लिए एक मुश्त भुगतान का इस्तेमाल करने के लिए भी इनका प्रयोग कर सकते हैं। होम लोन प्री-पेमेंट में लोन को चुकाने के साथ-साथ, आपके लोन का आंशिक या पूरी तरह से भुगतान करना शामिल होता है। होम लोन के आंशिक प्री-पेमेंट से बकाया मूल राशि को कम करने, देय ब्याज और लोन की अवधि को कम करने के साथ-साथ आपकी ईएमआई को कम करने में सहायता मिलती है।
मान लीजिए कि आपको 1 लाख रूपये की एक मुश्त सरप्लस राशि मिलती है। यदि आप इस सरप्लस राशि का इस्तेमाल अपने मौजूदा होम लोन की प्री पेमेंट करने के लिए करते हैं, तो आप देय ब्याज में 2,67,399/- रूपये की राशि की बचत कर पाएंगे तथा आपकी अवधि भी नौ महीने तक कम हो जाएगी। इस तरह से, ऐसा करने से आपकी कुल बकाया राशि, ईएमआई तथा शेष लोन अवधि कम हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप आप अपनी लोन अवधि की समाप्ति से पहले लोन चुका बैठेंगे तथा काफी अधिक राशि की बचत कर पाएंगे जिसका आप निवेश कर सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखें कि आप इस वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने सरप्लस फंड को मौजूदा निवेश के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यदि आपने भली भांति निवेश किया हुआ है, तथा इस सरप्लस का इस्तेमाल पूरी तरह से कर पाने की स्थिति में हैं, तो ही प्री-पेमेंट करें।
इस बात की उम्मीद है कि दरों में 200 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी होगी। मान लीजिए की दरों में 100 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होती है। इस प्रकार की स्थिति में नए उधारकर्ता हर लोन वर्ष के दौरान अपने बकाया लोन का 5% प्री-पेमेंट करके सिस्टेमिक एप्रोच को अपना कर लोन को कम करने पर विचार कर सकते हैं। इसलिए, उदाहरण के लिए, यदि आपके लोन की अवधि 20 वर्ष है। यदि हम मानते हैं कि ब्याज दरें स्थिर बनी रहेंगी, तो आप अपने लोन का भुगतान 12 वर्षों में कर पाएंगे।
अपने बकाया लोन के 5% का भुगतान करने से, यह तय होगा कि आपने अपने लोन के लगभग दो-तिहाई का भुगतान अपनी नियमित ईएमआई के साथ ही कर दिया है जिससे यह अधिक उपयोगी साबित होगा। यह सिस्टेमिक एप्रोच है क्योंकि इससे आपको अपने अन्य वित्तीय लक्ष्यों, जैसे रिटायरमेंट और बच्चों की शिक्षा के लिए बचत करना, के साथ समझौता किए बिना नियमित रूप से प्री-पेमेंट करने का मौका मिलता है। इस तरह से आप जल्द ही कर्ज से मुक्त हो पाएंगे, तथा आपके पास वैल्थ के सृजन के लिए पैसे भी होंगे।
वैकल्पिक रूप से, यदि आपके फाइनेंस के साथ ऐसा करना संभव है, तो आप अपनी ईएमआई को बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। यह आपकी नियमित ईएमआई के अलावा होगा। उदाहरण के लिए, यदि आपकी नियमित ईएमआई 35,000/- रूपये है, और आप 45,000/- का भुगतान करने का निर्णय करते हैं, तो 10,000/- की सरप्लस राशि को मूल राशि में एडजस्ट किया जाता है। इससे हर महीने आप अपने लोन को जल्दी से चुका पाएंगे। कर्ज से शीर्घ की मुक्त होने के लिए आप अपनी ईएमआई को अपनी आय में बढ़ोतरी के अनुसार बढ़ा सकते हैं।
जब ब्याज दरें बढ़ रही हों, तो अपने लोन की रिपेमेंट के लिए रिफाईनेंस करवाना एक अन्य तरीका होता है। मार्केट में बैंकों द्वारा ऑफर की जाने वाली दरों की तुलना करें। अपने मौजूदा उधारदाता की तुलना में कम ब्याज दरों पर लोन की ऑफर करने वाले उधारदाता को चुनें। आप अपने मौजूदा उधारदाता से भी रिफाइनेंस के जरिए निम्न दरों के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। यह बात ध्यान में रखें कि इसके लिए प्रोसेंसिंग फीस ली जाती है। यदि आपके लोन की आधी से अधिक अवधि शेष है तो रिफाइनेंस पर विचार करें।
ब्याज दरों के बढ़ने की स्थिति में यह थोड़ा एग्रेसिव कदम माना जाता है। यहां पर आपका उद्देश्य लोन की अवधि को, दरों में बढ़ोतरी से पहले की तरह ही करना है। उदाहरण के लिए, आप मई 2021 से 6.7% की दर पर 50 लाख रूपये के लोन को चुका रहे हैं। 13 ईएमआई के बाद, आपकी दरों को बढ़ाकर 7.1% कर दिया जाता है। मई में 227 महीनों की अवधि, अब जून में बढ़कर 243 महीने हो जाती है। आप जून में 175,000/- का भुगतान करके स्ट्रेटिकली 226 महीनों की अवधि को फिर से प्राप्त कर सकते हैं। इस प्री-पेमेंट और आपकी नियमित ईएमआई से जुलाई में आपकी अवधि कम होकर 226 महीने हो जाएगी। इसके बाद, जब भी दर में बढ़ोतरी होती है, आप अपने लोन को निश्चित समय अवधि में चुकाने के लिए इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं। और जब दरों में गिरावट होती है, तो आप अधिक फायदे की स्थिति में होंगे।
होम लोन लेने के बाद, आपका लक्ष्य अपने लोन को नियमित रूप से चुकाना होना चाहिए। आपकी स्ट्रेटजी मौजूदा ब्याज दर तथा इंफ्लेशन पर निर्भर होनी चाहिए। यदि दरें कम हैं, तो आप अपनी नियमित ईएमआई का भुगतान जारी रख सकते हैं तथा अपनी सरप्लस राशि का निवेश कर सकते हैं। लेकिन, ब्याज दरें उच्च हैं, तो समझदारी वाला विकल्प यह होगा कि आप उच्च दर वाले लोन जैसे 10% की तुलना में आप 8%एफडी प्राप्त कर रहे हैं, का भुगतान कर दें।
लोन दरों और आपकी ईएमआई और ब्याज भुगतान पर उनके प्रभाव की जानकारी रखें। यह तय करने के लिए कि आपके लिए कौन सी स्ट्रेटजी उपयोगी साबित होती है, कैलकुलेशन करें। सोच यह है कि अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोन लें, और साथ ही जल्द से लोन से मुक्त होने के लिए जब भी संभव हो इसका भुगतान करें।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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