नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। लॉकडाउन की वजह देश भर में माल की आवाजाही उचित तरीके से नहीं हो पाई। इस वजह कहीं आवश्यक चीजों के दाम बढ़े गए तो कही ये समान बहुत सस्ते हो गए। ऐसा सुनने को मिल रहा है लेकिन यह नहीं सुनने को मिला था कि गेहूं के आटे की कीमत गेहूं से ज्यादा है। उपभोक्ता मंत्रालय के आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी रखने वाले मूल्य निगरानी प्रभाग ने बताया कि नगालैंड के दीमापुर में गेहूं की कीमत 60 रुपए प्रति किलो है जबकि गेहूं का आटा 45 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वाकई यह हैरान करने वाली बात है कि गेहूं की कीमत गेहूं के आटे की कीमत में 15 रुपए अधिक है।
लाइव हिंदुस्तान के मुताबिक उपभोक्ता मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार अनुपम मिश्रा का कहना है कि इस तरह कीमत नहीं होना चाहिए। आटे की कीमत गेहूं से कुछ रुपए अधिक होनी चाहिए। उनके मुताबिक इस बारे में उन्होंने दीमापुर से संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगी है। गेहूं की कीत गेहूं के आटे से 15 रुपए प्रति किलो अधिक होने से केंद्र सरकार भी आश्चर्य में है।
उपभोक्ता मंत्रालय का मूल्य निगरानी प्रभाग देश भर में आवश्यक वस्तुओं की निगरानी करता है। देश के उत्तर, पश्चिम, पूर्व, दक्षिण और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को दर्शाते हुए देश भर में फैले 100 मार्केटिंग केंद्रों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर 22 आवश्यक वस्तुओं (चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, तूर (अरहर) दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सूरजमुखी का तेल, सोया तेल, पॉम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक) के मूल्यों की निगरानी की जाती है।
वस्तुओं की गुणवत्ता और किस्म जिसके लिए मूल्यों की रिर्पोटिंग की जाती है, केंद्र से केंद्र के लिए भिन्न हो सकते हैं, परंतु दिए गए केंद्र के लिए समान होते हैं। प्रत्येक केंद्र में वस्तुओं की मानक गुणवत्ता और किस्म है जिसके लिए उनके द्वारा मूल्यों की रिपोर्टिंग की जाती हैं। मूल्य निगरानी कक्ष के पर्यवेक्षण के अन्तर्गत उपभोक्ता मामले विभाग के राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा डाटा फीडिंग नेटवर्क और मूल्यों का डाटा ऐस (दैनिक मूल्य डाटा) तैयार किया जाता है।
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