नई दिल्ली : देश में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद 389 लाख टन से ज्यादा हो चुकी है जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है, फिर भी प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं के बाजार भाव सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब 100 रुपए कुंटल कम हैं। बात अगर चना की दरें तो यह मंडियों में एमएसपी से करीब 700-800 रुपये प्रति कुंटल नीचे बिक रहा है। मक्का उत्पादक किसानों को तो अपनी फसल इस साल औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है। जाहिर है कि देश में गेहूं, चना, मक्का, समेत कई अन्य फसलों का बीते फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड उत्पादन रहा है।
सरकारी एजेंसियां प्रमुख उत्पादक राज्यों में धान और गेहूं की बड़े पैमाने पर खरीद करती हैं, जबकि दलहनों और तिलहनों व अन्य फसलों की कीमतें जब किसी राज्य में एमएसपी से नीचे रहती हैं तो वहां उन फसलों की सरकारी खरीद की जाती है, जिसका मकसद वहां के बाजार भाव में सुधार करना और किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाना है। मगर, इस साल चने की जोरदार खरीदारी के बावजूद बाजार भाव में कोई सुधार नहीं हुआ।
केंद्र सरकार द्वारा तय फसल वर्ष 2019-20 के रबी सीजन की फसल गेहूं और चना का एमएसपी क्रमश: 1925 रुपए और 4875 रुपए प्रति कुंटल है। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देसी चने का भाव मध्यप्रदेश की गंजबसोदा और इंदौर की मंडियों में बीते सप्ताह क्रमश: 3950 रुपए और 4225 रुपए प्रति कुंटल, जबकि राजस्थान की बीकानेर मंडी में 4050 रुपए प्रति कुंटल था।
चने का यह भाव तब है जब सरकारी एजेंसी नेफेड ने इस साल अब तक करीब 23 लाख टन चना सीधे किसानों से एमएसपी पर खरीदी है। देश में चने का उत्पादन 2019-20 में करीब 109 लाख टन है। नेफेड के महानिदेशक संजीव चड्ढा ने कहा, कुल उत्पादन का तकरीबन 25 फीसदी हम खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि करीब 23 लाख टन चने की खरीद हो चुकी है और खरीद अब आखिरी दौर में है।
गेहूं का उत्पादन बीते फसल वर्ष 2019-20 में करीब 10.72 करोड़ टन है, जिसका करीब 36.36 फीसदी सरकारी एजेंसियों ने किसानों से सीधे एमएसपी पर खरीदा है। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की मंडियों में इस समय गेहूं का भाव करीब 1800 रुपए प्रति कुंटल चल रहा है। प्रदेश की शाहजहांपुर मंडी के कारोबारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस साल देशभर में गेहूं की रिकॉर्ड खरीदारी हुई है और इतनी खरीदारी नहीं हुई होती तो गेहूं का भाव 200 रुपये प्रति कुंटल और मंदा होता। मध्यप्रदेश की उज्जैन मंडी में मिल क्वालिटी गेहूं का भाव सोमवार को 1750-1800 रुपये प्रति कुंटल था।
वहीं, जिन फसलों का एमएसपी तो तय किया जाता है, लेकिन राज्य सरकारों की ओर से उनकी सरकारी खरीद की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है, किसानों को उनका उचित भाव मिलना और भी मुश्किल होता है। ऐसी ही फसल में इस साल मक्का है, जो पिछले साल के मुकाबले आधे दाम पर बिक रहा है। बिहार के मधेपुरा जिला के सुशिक्षित किसान प्रणव कुमार कहते हैं कि बाजार में वस्तुओं की कीमतें मांग और आपूर्ति से तय होती हैं, जाहिर है कि जब उत्पादन ज्यादा होगा तो आपूर्ति अधिक होने से कीमतों पर दबाव रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की नियति यही है कि जब वे अच्छा भाव मिलने की उम्मीद से किसी फसल का अधिक उत्पादन करते हैं तो उनको औने-पौने दाम पर ही वह फसल बेचनी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि दृष्टांत के तौर पर इस साल मक्के की फसल को लिया जा सकता है, क्योंकि पिछले साल किसानों ने 2200 रुपए प्रति कुंटल तक मक्का बेचा था, लेकिन इस समय उन्हें 1000 रुपए प्रति कुंटल भी मक्के का भाव नहीं मिल रहा है। बता दें कि कोरोना काल में पोल्ट्री इंडस्ट्री की मांग नदारद रहने से मक्के का दाम कम है। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि एमएसपी का लाभ कुछ ही किसानों को मिल पाता है, जबकि अन्य इससे वंचित रह जाते हैं।
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