नई दिल्ली : पिछले महीने की थोक महंगाई दर आज (14 सितंबर) जारी की गई है। अगस्त महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.16% पर पहुंच गई है जबकि जुलाई में यह शून्य से 0.58% नीचे थी। खाने वाले सामान और तैयार किए गए प्रोडक्ट्स महंगे होने से अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर बढ़कर 0.16% पर पहुंच गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गई है। इससे पहले पिछले कई महीनों तक थोक महंगाई नकारात्मक दायरे यानी शून्य से नीचे रही थी। अप्रैल में यह -1.57 %, मई में -3.37 %, जून में -1.81 % और जुलाई में -0.58 % रही थी।
बयान में कहा गया है कि अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 0.16% (अस्थायी) रही है। अगस्त, 2019 में यह 1.17 % थी।
अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 3.84 % रही। इस दौरान आलू के दाम 82.93 % बढ़े। सब्जियों की महंगाई दर 7.03 % रही। इस दौरान प्याज हालांकि 34.48 % सस्ता हुआ।
समीक्षाधीन महीने में ईंधन और बिजली की महंगाई दर घटकर 9.68 % रह गई। इससे पिछले महीने यानी जुलाई में यह 9.84 % थी। हालांकि, इस दौरान विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर बढ़कर 1.27 % हो गई, जो जुलाई में 0.51 % थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम की वजह से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
उधर रविवार को खुदरा महंगाई दर को लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमण्यम ने उम्मीद जताई है कि लॉकडाउन में ढील के बाद कुछ दिनों में खुदरा महंगाई दर नीचे आएगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति की दिक्कतों की वजह से महंगाई दर बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.93% हो गई है। मुख्य रूप से सब्जियों, दालों, मांस और मछली के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। हालांकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जुलाई में 0.58% घटी थी।
सुब्रमण्यम ने कहा कि यदि आप मुद्रास्फीति को देखें, तो यह मुख्य रूप से आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों की वजह से है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन में ढील के बाद ये बाधाएं दूर होंगी। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर थोक और खुदरा महंगाई दर में अंतर आपूर्ति पक्ष के कारकों की वजह से है। ये दिक्कतें आगे दूर होंगी। ऐसे में खुदरा महंगाई दर भी नरम पड़ेगी। इस तरह की आशंका जताई जा रही है कि साल की शेष अवधि में खुदरा महंगाई दर ऊपरी स्तर पर बनी रहेगी। इससे रिजर्व बैंक के पास नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं रहेगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को 31 मार्च, 2021 तक सालाना खुदरा महंगाई दर को 4% (2% ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि, अभी तक खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में रही है। सिर्फ जुलाई में यह इसके पार गई है। जून में खुदरा महंगाई दर 6.09% पर थी। वहीं दूसरी ओर थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जून में शून्य से 1.81% नीचे रही है। मई में यह शून्य से 3.37 % और अप्रैल में शून्य से 1.57% नीचे थी।
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