Wholesale Inflation Data: मंगलवार को सरकार ने थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। पिछले महीने यानी अप्रैल 2022 में देश में थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 15.08 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। उससे पहले यानी मार्च 2022 में यह आंकड़ा 14.55 फीसदी था। वहीं डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी।
क्यों बढ़ी महंगाई दर?
इस संदर्भ में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि, 'अप्रैल 2022 में महंगाई की ऊंची दर मुख्य रूप से मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, कच्चे तेल, नेचुरल गैस, खाने की वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, केमिकल और केमिकल प्रोडक्ट्स, आदि की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से हुई है।'
महंगाई बढ़ने की आशंका, आज फिर रिकॉर्ड लो पर पहुंचा रुपया
समीक्षाधीन अवधि में खाने के प्रोडक्ट्स की महंगाई 8.35 फीसदी थी। इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतों में भारी वृद्धि दर्ज की गई थी।
वहीं ईंधन और बिजली खंड में महंगाई 38.66 फीसदी थी। मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों और तिलहन में महंगाई क्रमशः 10.85 फीसदी और 16.10 फीसदी थी। अप्रैल 2022 में क्रूड ऑयल और नैचुरल गैस की महंगाई 69.07 फीसदी थी।
इतनी है रिटेल मुद्रास्फीति
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार रिटेल मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर पर यानी 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट (SBI Research Report) में कहा गया था कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी के बावजूद देश में महंगाई दर के सामान्य होने में समय लग सकता है। लगातार बढ़ रही महंगाई के मद्देनजर आरबीआई जून और अगस्त में होने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट में दोबारा बढ़ोतरी कर सकता है।
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