दक्षिण भारत में पर्यटन बढ़ाने और आपस में दक्षिण भारत के तमाम राज्य एक-दूसरे से जुड़े, इसे लेकर बैंगलोर में दो दिवसीय सम्मेलन पर्यटन मंत्रालय की तरफ से किया गया, जिसमें हर राज्य के पर्यटन मंत्री शामिल हुए। लेकिन बात जब पर्यटन की हो तो दक्षिण में केवल धार्मिक पर्यटन ही नहीं बल्कि ऐसे कई व्यवसाय मौजूद हैं जिनकी चर्चा देश विदेश तक हो।
ऐसा ही एक व्यवसाय जो कर्नाटक में बहुत मशहूर हैं, वह हैं लकड़ी के खिलौनो का बाजार। यहां लकड़ी के खिलौने खास चंदन की लकड़ी से बनाए जाते हैं और इन्हें सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेश में भी एक्सपोर्ट किया जाता है। मैसूर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा चन्नापटना इलाका खास खिलौनो के लिए जाना जाता है।
यहां पर लकड़ी के घोड़ों से लेकर, लकड़ी की कुर्सियां, टेबल, बच्चों के कई वैरायटी के खिलौने, पालना, चंदन के कटोरे, घर के सजावट के सामान सब कुछ मौजूद हैं। और अगर दाम की बात की जाए तो 30 रुपए से लेकर 20000 रुपए तक के सामान यहां पर मौजूद हैं ।
अगर दुकान के मालिक की बात करें तो कोरोना की वजह से अभी भी बाजार बहुत मंदा है। केवल कर्नाटक के लोग ही खरीदारी के लिए आते हैं। दक्षिण के दूसरे राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु और अन्य अभी भी नही आते हैं और उसकी सबसे बड़ी वजह है कि अभी भी लोगों ने पूरा वैक्सीनेशन नही कराया है। व्यापारी ये मानते हैं कि 60 प्रतिशत लोग साउथ में मास्क नहीं पहनते और बेहद लापरवाह हैं। इसकी वजह से अभी भी यहां बहुत मामले कोरोना के आ रहे हैं।
गौरतलब हैं कि टॉय टूरिज्म पर भी सरकार का फोकस है। सरकार चाहती है कि पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल की मुहिम के तहत लगातार हर राज्य में लोकल कारीगर और मेड इन इंडिया को प्रमोट किया जाए। और अब इसे टूरिज्म के लिहाज से कैसे हर स्टेट से भी जोड़ा जाए वो जरूरी है। कारीगरों के सामने सबसे बड़ी परेशानी यही है की सामान अपने रीजन में भी नहीं जा पा रहा तो कहीं और कैसे प्रोमोट हो पाएगा। इसी पर सरकार का फोकस है और इसके बीच आने वाली सभी अड़चनों को कैसे दूर किया जाए यही दक्षिण मिशन सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था।
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