Petrol Price: आखिर पेट्रोल 100 रुपए से 56 रुपए होते होते कैसे रह गया, समझें पूरी गणित

जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक पर हर किसी की निगाह थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला हो सकता है, लेकिन फैसला नहीं हुआ। आखिर वो कौन सी वजह है जिससे पेट्रोल 100 से 56 रुपए आते आते रह गया।

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आखिर पेट्रोल 100 रुपए से 56 रुपए होते होते कैसे रह गया, समझें पूरी गणित 

पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में नहीं है। लेकिन इन्हें GST में लाने से क्या होगा? दिल्ली में अभी पेट्रोल= 101.19 पैसे/लीटर पेट्रोल प्राइस का ब्रेकअप कुछ इस तरह है। बेस प्राइस- 40 रुपये 78 पैसे, माल भाड़ा- 32 पैसे, एक्साइज़- 32 रुपये 90 पैसे,VAT- 23 रुपये 35 पैसे
डीलर कमीशन- 3 रुपये 84 पैसे है।अगर पेट्रोल GST के अंदर आएगा बेस प्राइस- 40 रुपये 78 पैसे, माल भाड़ा- 32 पैसे एक्साइज़ ड्यूटी X वैट X, GST @ 28% = 11 रुपये 50 पैसे, डीलर कमीशन- 3 रुपये 84 पैसे, कुल- 56 रुपये 44 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल मिलेगा। 
जीएसटी से पहले और बाद में किस तरह होता असर
जीएसटी से पहले- 101 रुपये, जीएसटी के बाद- 56 रुपये, फायदा- 45 रुपये प्रति लीटर का होता। लेकिन पेट्रोल और डीजल को GST में लाने का मन क्यों नहीं है? सरकारों को बड़ा नुकसान दिखता हैपेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स वसूली। केंद्र+राज्य= 5 लाख करोड़ रुपये/वर्ष होती है। अगर GST में लेकर आए तो राज्यों को नुकसान 2 लाख करोड़/वर्ष होगा। 

अब तक GST के दायेर में क्यों नहीं ?
केंद्र और राज्य मिलाकर 5 लाख करोड़ का टैक्स वसलूते हैं हर साल। राज्यसभा में सुशील मोदी ने कहा था - राज्यों को कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ का नुकसान होगा हर साल। सुशील मोदी ने कहा था अगर GST के दायरे में पेट्रोलियम प्रोडक्ट लाए गए तो जो टैक्स एक लीटर पर 60 रुपये वसूला जाता है वो 14 रुपये रह जाएगा।सुशील मोदी ने कहा था कि 10 सालों तक ऐसा करना संभव नहीं है।सरकारों को राजस्व का नुकसान होगा। कमाई के सोर्स में बदलाव आसान नहीं।पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर टैक्स से काफी कमाई होती है।सरकार इन पैसों को सरकारी योजना में लगाती है। राज्य सरकारें अभी अपने मुताबिक VAT लगाती हैं।चुनाव के वक्त ये वैट कम कर दिया जाता है
अगर GST के दायरे में लाया गया तो ऐसा नहीं हो पाएगा।

GST यानि वस्तु और सेवा कर 

  1. एक निर्धारित दर से टैक्स लगता है
  2. जीएसटी की चार स्लैब मौजूद हैं 
  3. 5%
  4. 12%
  5. 18% 
  6. 28% 

SBI की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक
अगर GST के दायरे में पेट्रोल-डीजल आए तो पेट्रोल 26 रुपए तक सस्ता हो सकता है, डीजल पर 20 रुपये तक सस्ता हो सकता है केंद्र सरकार पर असर ये होगा कि राजस्व में एक लाख करोड़ की कमी होगी। लेकिन सस्ता होने से कंजप्शन बढ़ेगा राज्यों पर असर इस तरह से होगा। राजस्व में 30 हजार करोड़ रुपये की कमी। महाराष्ट्र को 10,424 करोड़ का नुकसान। यूपी को 2419 करोड़ का फायदा 

पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर टैक्स से कमाई

पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी 

  1. 2014- 9 रुपये 48 पैसे
  2. 2021- 32 रुपये 90 पैसे


पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी कलेक्शन

  1. 2014-15-  72,160 करोड़ रुपये
  2. 2020-21-  2,94,481 करोड़ रुपये
  3. सभी सेंट्रल टैक्स में राज्यों को हिस्सा मिलता है
  4. शेयरिंग का फॉर्मूला वित्त आयोग हर 5 साल में तय करता है
  5. 15वें वित्त आयोग ने केंद्र के टैक्स में राज्यों का शेयर 41% रखा है
  6. इस शेयरिंग में सेस और बाकी स्पेशल टैक्स नहीं होते हैं
  7. इसलिए राज्यों के लिए टैक्स का इफेक्टिव हिस्सा- 30% होता है


विरोध में महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार कह रहे हैं कि हम अपने टैक्स लगाने के अधिकार में कोई अतिक्रमण नहीं होने देंगे।केरल के फाइनेंस मिनिस्टर भी यही बात कह रहे हैं।सालाना 8 हजार करोड़ के नुकसान की बात कह रहे हैं। बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार भी इसका विरोध कर रही है1500 करोड़ से 600 ही रेवेन्यू रह जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार समर्थन कर रही है


 

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