नई दिल्ली। 15 अगस्त साल 1947, यही वो तारीख है जिस दिन 200 साल से भी ज्यादा के लंबे संघर्ष के बाद हमने खुली हवा में सांसे ली। हम आजाद तो हो गये लेकिन इस आजादी के साथ देश का विभाजन भी हुआ। जिसके बाद अस्तित्व में आया पाकिस्तान। ठीक एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान को आजादी मिली। ये लंबा संघर्ष कई किस्से, कहानियों, शहादतों, यादों को समेटे हुए है। आज भले ही दोनों देशों के संबंध अच्छे न हो लेकिन इतिहास गवाह है की भारत ने पाकिस्तान की जरुरत पड़ने पर मदद की है। आइए जानते आजादी से जुड़े कुछ खास किस्से।
जब आरबीआई ने पाकिस्तान के लिए नोट छापे
ये बात बंटवारे के बाद की है। सालभर बाद तक भी भारतीय करेंसी ही पाकिस्तान में चलती रही। हालाकिं इस पर पाक सरकार अपनी मुहर लगाती थी। 1 अप्रैल 1948 से भारतीय नोट का सर्कुलेशन बंद कर दिया। साल 1948 को रिज़र्व बैंक और सरकार ने पाकिस्तान के लिए प्रोविज़नल नोट की छपाई का काम शुरू किया। इन नोटों पर अंग्रेजी में ‘गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान’ और उर्दू में ‘हुक़ूमत-ए-पाकिस्तान’ का स्टैम्प होता था। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद भी आरबीआई ही दोनों देशों के सेंट्रल बैंक के तौर पर काम करता था. इन नोटों की छपाई का काम नासिक रोड कि 'सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस' में होता थी। इसमें एक दिलचस्प बात ये की पाकिस्तान के लिए छपने वाले नोटों पर भारत के ही बैंकिंग और फाइनेंस अधिकारियों के हस्ताक्षर होते थे। साल 1952 में रिज़र्व बैंक ने पाकिस्तानी करेंसी की छपाई बंद कर दी।
122 साल से जंजीरों में जकड़ा हुआ पेड़
ये बात साल 1898 की है। तब दोनों देशों का बंटवारा नही हुआ था। पाकिस्तान में एक जगह है खैबर पख्तूनख्वाह। यहां की आर्मी कैंटोनमेंट में एक अंग्रेजी ऑफिसर पोस्टेड था जिसका नाम जेम्स स्क्विड था। एक रात उसने जमकर शराबी पी और नशे की हालत में ही पार्क में टहलने लगा। आलम ये था की उससे ठीक से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। तभी उसे लगा कि सामने खड़ा हुआ पेड़ उस पर हमला करने आ रहा है। जो की उसकी जान ले लेगा। इस बात से घबराकर उसने अपने अधिकारीयों को पेड़ को गिरफ्तार करने के आदेश दे डाला। उसके साथियों ने तुरंत पेड़ को जंजीरों में जकड़ दिया। ग़ुलाम होने की वजह से इस घटना का विरोध करने की हिम्मत आम लोगों में नहीं हुई। लेकिन आजादी मिलने के बाद भी उस पेड़ को आज तक किसी ने जंजीरों से नहीं निकाला। वो इसलिए ताकि आने वाली पीढ़ी ये जान सके कि अंग्रेजों के किस तरह के जुल्म किए थे। एक दिलचस्प बात ये कि इस पेड़ पर एक तख्ती लटकी है, जिस पर लिखा है 'I am Under arrest'।
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